कानुबा देव
मोरो कानुबा देव बाई मचुर मूचुर लाही खासे।ध्रु।
सावलो सलोनो मोरो देवकी को बार
लहानपन नहीं मिलेव मायबाप को प्यार
कंस को भेव लका गोकुल मा जासे
मोरो कानुबा देव बाई मचुर मूचुर लाही खासे।१।
गोकुलमा यशोदा न पालन करिस
नंदबाबा न ओका नखरा झेलिस
गोकुलको टुरा संग खेल मंडावसे
मोरो कानुबा देव बाई मचुर मूचुर लाही खासे।२।
गोकूलमा दहिदूध की करसे चोरी
गोपी संग खेल खेलसे नानापरी
गोफन लका गौळणीकी हांडी फोड़से
मोरो कानुबा देव बाई मचुर मूचुर लाही खासे।३।
बालपन कि सखी ओकी होती राधारानी
रास रच गोकुलामा संग नाचती गौळणी
गोड गोड आवाजमा बंसरी बजावसे
मोरो कानुबा देव बाई मचुर मूचुर लाही खासे।४।
घर घर मा पूजा तोरी अष्टमीला होसे
टेठला मटली चना लाही खुशी लका खासे
डेढ़ दिवस रहस्यानी गोकुळमा जासे
मोरो कानुबा देव बाई मचुर मूचुर लाही खासे।५।
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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