Friday, August 7, 2020

पहाट dev pardhi 21


भयि पहाट ! भयि पहाट !
पक्षी करण बस्या किलबिलाट !!

ओतोमाचं एक चिमणी घरमा आई !
कवन बसी उठो पहाट भयि !!

आई का भय गया होता काम !
आम्ही सोया होता बेधाम !!

बाबूजी को शेणपुंजा भयेव !
तब आमला जाग आयेव !!

सूर्य देव कि किरण रंग सोळशे सोनेरी !
पर आम्ही मोठा बेशरम बिस्तर पर सेज आबवरी !!

लहान पण पहाटला मज्जा मोठी आव !
आई को कड्यापर  जानकी मज्जा आव !!

तोंडहात धोयेव पर दूध भेट गरम गरम !
पर वण समय पर आमला नही आवत होती शरम !!


देवराज भुरकन पारधी 
ग्राम - वड्द 
भ्रमणध्वनी - ९५४५०६८०९०
प्रतापनगर - नागपूर

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