गवळण
बाट सोळ मोरी नंदलाला। गा।
जान दे मधुरा बजारला।। धृ।।
सासुरवासी गवळी की नार
दहीदुध की हांडी डोईपर
बिनंती करुसु मी तोला //१//
केती मधुर से तोरी बंसरी
बजाव ना तु एकघन तरी
नंदयशोदा को लाला //2//
जाता आवता कर मस्करी
या चाल तोरी नहीगा बरी
गावमा होसे गलबला //3//
सासू मोरी गुश्सा करसे
नवरा मोरो ताना मारसे
मना करसे आवनला //४//
मारशान गोटा हांडी फोळ
तोर लिला ला नही तोळ
चिखल भयेव रस्ताला //५//
जवळकी सखी राधा प्यारी
प्यार करती गवळण सारी
धरसेती तोर चरन ला //६//
पेंदया,,सुदामा संगी सेती
जगभर होसे तोरी आरती
सुखी ठेवजो सबला //७//
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
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