Thursday, August 13, 2020

कान्हा मोरो सखा shekhramji yedekar 22



कान्हा मोरो सखा(अभंग)

कान्हा मोर् सखा, पृथ्वी पर आव। 
स्मरू तोरो नाव, सखा मोर्।। १।। 

देखुसु चित्र मा, मुरत हासरी।
हातमा बासुरी, शोभसे गा।। २।। 

तोरो नाव लेता, हिरदा भरसे।
समाधानी होसे, मोरो मन।। ३।। 

सदा कार्य तोरो, धर्म को उध्दार। 
दुष्ट को संहार, करेस गा।। ४। 

करुसु बिनती, करुसु प्रार्थना। 
भगाव कोरोना, कान्हा मोर्।। ५।। 

हटाव कोरोना, हटाव गा भेव। 
नोको खाऊ भाव, कान्हा मोर्।। ६।। 

द्रौपदी की देवा, लाज रे राखेस। 
पोहा बी खायेस, सुदामाका ।। ७।। 

सांगेस गा देवा, मोल धरती को। 
उध्दार भक्त को, करेस गा।। ८।। 

रुक्मिणी बी तोरी, सत्यभामा तोरी। 
भक्ती की शिदोरी, बाटेस गा।। ९।। 

रणमा सांगेस, अर्जुन ला गीता। 
तुच कर्ता धर्ता, धरती को।। १०।। 

सदा करु देवा, तोरो गुण गान। 
कवुसु भजन, कान्हा तोरो।। ११।। 

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर, नागपुर

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