कान्हा मोरो सखा
नटखट नंदलाला
तोरो लहानपण से मोठो हसीन
केतरी कलाबाजी करजोस
पूतना भी तोरो सामने हारी
सबला मालूम से, माखन चोर की
गौळनी मटकी फोड़न की कहानी
कान्हा तु मोरो सखा
ना मी तोरी बावरी सखी ।। १।।
सुदामा ना तोरी दोस्ती सांगसे
दोस्ती मा अमीर गरीब नही
मन को पिरम दुय् मन ला एक करसे
सुदामा का पोहा याद आया
त आब भी आवसे डोरा मा पानी
कान्हा तु मोरो सखा
ना मी तोरी बावरी सखी ।। २।।
गोकुल मा रंगीसेत
राधा ना कान्हा की कहानी
कान्हा मोरो सखा से
सब गौळनी की से याच वाणी
सुधबुध खोयकन मीरा न
करी होतीस तोरी भक्ती
कान्हा तु मोरो सखा
ना मी तोरी बावरी सखी।। ३।।
मोरो मन का, सब प्रश्न का उत्तर
तोरो गीतासार मा भेटसेत
खाली हात आया सेजन
ना खाली हातच जानो पडे
सबसंग प्रेम लक रवो ना मदत करो
यवच तोरो सांगनो से
कान्हा तु मोरो सखा
ना मी तोरी बावरी सखी।। ४।।
सौ श्रुति टेंभरे बघेले
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