Thursday, August 13, 2020

कान्हा मोरो सखा vidya bisen 22


  कान्हा मोरो सखा

ओ कान्हा मी तोरी सखी तोरो संग  गली गोदरी खेली।
तु मोला बिसर  गयोस सखा  मी तोला न बिसर सकी।
कान्हा मी तोरी सखी कान्हा मी तोरी सखी।।

आवन कह गयोस काहे नही आयोस,
सावन ,भादो  बरश वानी बीत गयो,
मि बाट देख देख के थकी तोरी बाट देख देख मि थकी।
कान्हा मी तोरी सखी कान्हा मी तोरी सखी।।

गोकुल छोड काहे मथुरा धाम गयोस ।
रोवसेत गोपी ग्वाल सखी तोरी सखी।
ओ कान्हा मी तोरी सखी कान्हा मी तोरी सखी।।

हे लीलाधर हे करुणाकर मुरली मनोहर हे बंशीधर।
तोरो दरश की से आशा जगी।
तोला खोजु बन बावरी मी गली गली ।
कान्हा मी तोरी सखी कान्हा मी तोरी सखी।।

विद्या बिसेन
बालाघाट

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