कान्हा मोरो सखा
नीलवर्ण लका तू रंगेस
मुरलीधर कान्हा चराचर मा शोभसेस
मनमोहक रूप तोरो रे कान्हा
गोकूलमा बदमाशी तू करसेस।।
बाललीला तोरी होती मनोहर
मनमोहना तू,केशव,माधव तू
देवकी नंदन,ललना यशोदाको
गौळनीनला सतायेस कान्हा तू।।
सुदामा जीवलग मीत्र तोरो
राजा,रंक को नही भेद
गौळनीनकी मटकी फोडके
करेस तून वहा रे छेद।।
पुतना को संहारक तू
शिशूपाल को तारक तू
प्रकांड शक्तीदायक तू
रणभूमी मा पार्थ को सारथी तू।।
कर्ता,धर्ता गीतासारको
विश्वमूख को धारक तू
प्रचंड शक्ती दाता तू
सहस्त्र स्त्रींको तारक तू।।
कान्हा सुंदर नीलमेघ तू
देवकीनंदन कुलभूषण तू
मीराको मेघश्याम रे तू
राधासाठी कान्हा,सखा तू।।
नटखट लीला तोरी न्यारी
खेल पूरो कर आता मूरारी
तोरा पाऊल पडता पावन भयी
कान्हा द्वारका नगरी रे सारी।।
मोरपीस शोभसे डोईला तोरो
मी भक्ती मा लीन भयी रे
तुच पालनकर्ता मोरो
तुच कान्हा मोरो सखा रे।।
चीरहरण द्रौपदी को भयेव
धायके आयेस बंधु बनके
लाज ठेयेस स्त्री जातकी
प्रणाम करूसु वयनी होयके
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगाव
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