पावुल
(तर्ज- घ्याल का हो राया मला शालू बनासशी----)
कान्हुबा मोरो सखा ,तोला समजावू कशी।
शिकायदे या पावुल, येला बजावू कशी।।धु।।
सावळी मनमा बशी से मुर्ती
राधा-क्रिष्णकी होय रे किर्ती
बजावता नही आवमोला, बजावसेस कशी।।१।।
नाचुसु तोर धुनकं संग
होय जासे मोरो ध्यान भंग
मनमा तोरोच ध्यास, कोनीला सांगू कशी।।२।।
काल घरं मी रातमा गयी
सासु मोरी नाराज भयी
मुहुन मी या पावुल आनेव,जशीकी तशी।।३।।
संकट मा तुच धावसेस
द्रोपदी की लाज राखिसेस
मोरंपर योव संकट आयो,दुर करू मी कशी।।४।।
पेंद्या सुदामा संग घरं आवो
दही मलाई को खायके जावो
सारेगम पधनिसां,बोटला चलावू कशी।।५।।
यमुना कं तीर परंको काला
शिदोरी एकमा करेस लिला
नाच गाना वुंदावनमा,मी साथ देवु कशी।।६।।
राधा -किसन की जोड़ी शोभसे
भाव मोरो का नही आयकसे
मी तूमरीच छाया ,मुर्ती मनमा से बशी।।७।।
वाय सी चौधरी
गोंदिया
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