माय की महत्ती
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"स्वामी तिन्ही जग को माय बिना भिकारी" येनं कवी यशवंत को सुंदर ओळ मा लक माय की महानता दिससे. माय मंजे ममता,आत्मा अना ईश्वर को मिलाप आय.आपलो जीवन की सुरवातच माय पासून होसे.बचपन मा लाड-प्यार लक लालन-पालन करनेवाली,चिमणी कावरा को घास आय कयकर एक-एक घास चराय देनेवाली अन्नपूर्णा देवी मंजे माय. संतान बिमार पडेपर रात-रात भर जागकर सेवा करणारी डॉक्टर नर्स मंजे माय.
कसेत का माय भगवान को दुसरो रूप आय.भगवान तं येनं धरतीपर आय नही सकं मुन वोनं माय ला येनं जग मा
धाडीस.
माय मंजे मंदिर को करस
माय मंजे आंगण मा की तुरस
माय संतान पर गुस्सा बी करसें पर वोको भलो साती. पर पल भर मा वा वोला जवर करसें. माणूस केतरो बी मोठो होय जाये पर माय को सामने वू लहानच रवसें.थकहार के आये पर माय को कलेजा ला लगस्यानी वोकी सब चिंता मिट जासेती."माय मंजे संतवानी माय मंजे वाळवंट को थंडो पाणी".बायको को कवनोपर माय को कलेजा काहाडस्यानी टुरा ला ठेस लगं सें तबं माय को कलेजा मा लक आवाज आवसें "बेटा तोला लगेव तं नही" येव रवसें माय को मन.
सावली देनसाती माय मोरी जनमभर रही तपनमा
बोल आशीर्वाद का लेकरुसाती मी देव देखुसु वोकोमा
माय की महत्ती आय मुन जिजाऊ नं शिवबाला घडीस. सती अनुसया नं तीन देवता इनला लेकरू बनायकर दूध पिवाईस अना दत्तात्रय जनम भयेव. औलाद ला संस्कार देनेवाली माय चं सें.माय नं कई वीर-थोर रत्न ला जनम देई सेस.मुन कसेती "जेको हात मा पारणा की दोरी वा जग ला उद्गारी".
माय मोरी गुरू सखी सें मार्गदर्शक
माय मोरी मोरो साती सब काही सें
वोको मा देव को दुसरो रूपंच जणू
संकट मा पाठशीण मोरो उभी रवसें
आपलो भूक लक व्याकुल रोवतो तानुल्या साती हिरकणी
अंधारो, जखम की पर्वा न करता रायगड को बुरुज उतर गयी. या आय माय की ममता.खुद कष्ट मा रयकर संतान ला सुख देसे.
माय सारखो तीर्थ जग मा नही चोवं
चरण धोयकर तीर्थ तू जीवनभर पीवं
शारदा चौधरी
भंडारा
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