Monday, September 7, 2020

पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रिय काव्यस्पर्धा

 पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रिय काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 27 , दि. 06/09/2020 रोज ईतवार

विषय : सराद (श्राद्ध)

क्रमांक

रचना

रचनाकार को नाव

1.        

श्राद्ध (सराद)

सौ स्वाती कटरे तुरकर

2.        

पयलो सराद

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)

3.        

सराद

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

4.        

सराद (श्राद्ध) : स्मरन

श्री वाय सी चौधरी

5.        

सराद (श्राद्ध)

श्री  चिरंजीव बिसेन

6.        

श्राद्ध

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

7.        

सराद (श्राद्ध)

श्री डी पी राहांगडाले

8.        

सराद

प्रा.डॉ.हरगोविंद टेंभरे

9.        

   श्राद्ध

   सौ  शारदा चौधरी

10.    

सराद

डॉ.शेखराम परसराम येळेकर

11.    

श्राद्ध : पुरखा गिन को सम्मान

सौ बिंदु बिसेन









                                      आयोजक                           परिक्षक        

सोनू भगत                     डॉ.अनिल बोपचे



1.  श्राद्ध (सराद)

******************

हायकु

पितृ पक्ष मा

पितृ मोक्ष को साठी

होसे सराद

*

होयेत तृप्त

सन्तुष्ट मुक्त पितृ

करो सराद

*

पितर- ईन

ला याद करन की

प्रथा से न्यारी

*

बड़ा पूरी की

से उनकी सिदोरी

करो सराद

*

कागुर टाको

कुत्रा गाय जवर

ठाव मंडओ

गांव भोजन

दान दक्षिणा करो

श्राद्ध मनाओ

*

मरणो परा

सब कर सेत जी

मान सम्मान

*

जीतो परच

देवो सबला मान

करो सम्मान

*

आशीष रहे

उनको जो की ख़ुशी

लक जायेत

*

सराद करो

तुम्ही त वय स्वर्ग

लका आयेत

✍️स्वाती कटरे तुरकर

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2.  सराद (श्राद्ध)

कविता को शीर्षक: पयलो सराद

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सव्वा साल भया, अजी वोर्या गया

सराद बढिया, मनावबी कह्या ॥

कोरोनाको लका, सपना सबका

सबको मनका, धर्या रय गया ॥

जितोजीव अजी, बड़ा मनमौजी

सद्गूरू की मर्जी, तंदुरुस्त काया ॥

कभी नही हाव, नही काव काव

पुण्यवान जीव, परसिद्ध भया ॥

"एक नाम तारी, सब दुकांदारी

सत्यनाम तारी", कह्यक्यारी गया ॥

जितोजीव उंनं, भक्ती निरगून

सफल जीवन, करक्यान गया ॥

लेखणी ना पर्चा, कालेजको खर्चा

कभी नही चर्चा, करक्यानी गया ॥

मनीला धोतर, टोपी डोईपर

शोभं हातभर, गमचा लं काया ॥

आमी डाक्या केत्ता, कपडा ना लत्ता

हिसाब को पत्ता, नही लेय गया!!

माय अना अजी, फ्लॅटमा आवोजी

बनके भटजी, पूजा कर गया ॥

आयात जबन, ईच्छा करकेन

मनमा प्रसन्न, तुमी भय गया ॥

फ्लॅटमा गमंसे, जीव मोरो रमंसे

मन मोरो कसे, 'सदा आऊँ भैया'

गावं जायकन, भयात निर्वाण

सदा मोरोकनं, काहे नही रह्या?

तुमरो सराद, निश्चल या याद

आमला आबाद, करक्यान गया ॥

षड़रिपू त्याग, अवगुण राग

अधर्म को भोग, वशमा इंद्रिया ॥

खल समर्पण, भाव अरपन

तुमला तर्पण, सब कर देया ॥

कावरा की काव, केरपान ठाव

मनमा सुभाव, करूणा ना दया ॥

तूमरीच कृपा, अना अनुकंपा

आमरो ओ बाप्पा, सदा ठेवो छाया ॥

आमी परिवार, सब मिलकर

जोड़क्यारी कर, तृप्त भय गया ॥

✍️डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)

उलवे, नवी मुंबई, मो. 9869993907

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3.  सराद

                             ****************

जीतोपनमा नही ओवारेस

मायबापला देयके तुकळा

आता मरेव परा कसो तू

सरादला खवावसेस सुवारी बळा।।

 

तोरसंग रव्हनसाठी

जीव मोरो तळपत होतो

शहर मा जायके तू बेटा

कसो रे तू भूलेव होतो

नोहोता आंगपर आमरो चांगला कपळा....

आता मरेव परा कसो तू

सरादला खवावसेस सुवारी बळा...।।१।।

 

लहानपणमा झेल्या होता

तोरा केतरा आम्ही नखरा

रातरातभर झोप नही आवत होती

जब देत होती मी कुस को आसरा

तोरी सुगानीगा करता भयेव बाप को सापळा...

आता मरेव परा कसो तू

सरादला खवावसेस सुवारी बळा..।।२।।

नोको रे बेटा आता तू

पैसा असो नोको खर्च करू

कावरा ला बुलायबुलायके

बजार नोको आता भरावू

गरीब को उपासी पोटमा टाक दे एखाद तुकळा

आता मरेव परा कसो तू

सरादला खवावसेस सुवारी बळा।।३।।

 

उपासी माणूस ला दुय घास दे

तबच सफल होयेत मोरा पीतर

आशिर्वाद बी तोला मंग भेटे

फीटेत तोरा सपाई पितर

मोहक दिसे आमला मंग

तुमरो दुहीजन को येव मुखळा

आता मरेव परा कसो तू

सरादला खवावसेस सुवारी बळा।।४।।

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

बिरसी आमगांव

जि.गोंदिया

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4. सराद (श्राद्ध): स्मरन

    प्रकार-अभंग

    *****************************

पुर्वज आपला ,देव लोक गया

दिवस हे आया,पित्रृपक्ष ‌‌|

सगोत्रका लोक,कुसार होसेती

उपास रव्हती ,दिनभर।।

 

पाहुणा आवती,पत्री बनावती

दोना समकोनी ,श्राद्धसाठी।।

कुसको जनेऊ,पुर्वज स्मरन

चौरीको पुजन,  करसेती।।

 

तेलमाका बडा़,रात्री बनायके

चंद्र दर्शन करके,ठेवसेती।।

बडा़ सुवारीको,सराद को दिन

आनंदित मन, होयजासे।।

 

बापला देखावो,नहि?श्राद्ध करो

एक बेरा श्मरो, मायबाप।।

जेक कृपालका,देख्या योव जग,

जाग्या सेती भाग,संसारमा।।

 

आपलं मनमा,ठेवो सद् भाव

जितो पर सेवा ,करोसब।।

अडा़नी दुनिया,काक बुलावसे

कागुरी ठेवसे,घरंपरं।।

 

आपला पुर्वज,प्रसन्न होयती

आशिष देयती, स्वर्गमालं।।

मुहुनं सराद ,सुखी घरदार

श्राद्धको संस्कार,शुभ दिन।।

"

जय राजा भोज,जय मॉ गड़काली"

"जय पोवार,जय पोवारी बोली""

 

वाय सी चौधरी

गोंदिया

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5. सराद (श्राद्ध)

     ****************

हिन्दु संस्कृति से परंपरा प्रधान,

येको मा रूढी परंपरा ला से उचो स्थान.

 

हिन्दी पंचाग मा आश्विन क्

कृष्णपक्ष मा आवसेती श्राद्ध.

मराठी पंचाग मा भाद्रपद क्

कृष्णपक्ष मा होसेती श्राद्ध.

 

कृष्णपक्ष प्रतिपदापासून अमावस वोरी,

श्राद्धपक्ष कहलावसे पंधरा दिवस वोरी.

 

आपल् पूर्वज इनको करनसाती तर्पण,

बिरानी ना कागुर करे जासे उनला अर्पण.

 

दाल,भात,बडा,सुवारी,कढीला रव्हसे महत्व,

पूर्वज इनक् आत्माला तृप्त करन को से तत्व.

 

देवघर मा चवरीपर चढायो जासे कागुर,

रिश्तेदार ना पडोसी इनला बुलावसेत जरूर.

 

श्राद्ध मा कुसार को भी पडसे काम,

कुसार क् बादच जेवसेत लोक तमाम.

 

चढावसेत बिरानी आपल् पूर्वज इनक् नावल्.

कावरा ना गाय ला बी जेवावसेत् पहल्.

 

कावरा का लहान बच्चा रव्हसेती येन् घात्,

उनको पालन करनसाती कावरा जेवावसेत्.

 

याद करन को आय येव दिन पूर्वज इनला,

जीनक् कारण लका आमी आया जगमा.

 

चिरंजीव बिसेन

  गोंदिया.

दि.६/९/२०२०

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6. श्राद्ध

                             ************

भादो मास मा कृष्ण पक्ष श्राद्ध जब आवसे

पितृदेवला तर्पण करके मन संतोष पावसे।

श्रद्धा लक श्राद्ध करो पितृ तृप्त होय जासे

सत्कार प्रेम को बदलामा पितृ आशीर्वाद देसे।।

 

पयलो श्राद्धला महत्व बड़ो पोवार समाजमा

तेलबड़ा सुवारी बनावसेत पंचपक्वान घरमा।

कुसार  जवाईला ठेवसेत  सब नेंग  दस्तुरमा

कागुर को ठाव हिवरों पाना की पत्रालीमा।।

     

बिरानी टाकसेत चवरीपर पितर को यादमा

कागुर फेकसेत बरणपर काग आवनको बाटमा।

आवसेती काग पयलो घास उनको मानमा

तृप्त होसेती पांच कुऱ्या श्राद्ध को जेवनमा।।

 

नोको समझो आवडंबर निसर्ग बचावनकी क्रिया

कावरा की रवसे या नव जन्मोत्सव की प्रक्रिया।

बळ पिपर को फळ खासेत ये करसेत विष्टा

तबच नवो रोप निकलसे निसर्ग की या रचना।।

 

 

आमरी संस्कृती से बडी महान ना निसर्ग पूजक

झाड पक्षी प्राणी को रक्षण करणसाती ये नियम।

असी अनमोल संस्कृती को रक्षण मा रवबी तत्पर

पितरला याद करबिंन संगमा सृष्टि को रक्षण।।

✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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7.  सराद (श्राद्ध)

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श्राद्ध अना श्रद्धा एकच शिक्काका दुय पहेलु आती।

जीतोपर  श्रद्धा ठेवसे त अना  मरेपर श्राद्ध करसेती।।

मायबाप अना गुरुजन पर श्रद्धा मनजे बिश्वास होसे।

जे पूर्वज स्वर्गवास भयगया उनक साठी श्राद्ध करसे।।

 

आपला  मायबाप, आजा, पनजा जे कोणी मरगया।

उनक नावको तिथ मनजे श्राद्ध करशांन मुक्त भया।।

आपल पित्तर क मोक्ष  मुक्ती साठी श्राद्ध करे जासे।

घरमा सुख,शांती अना समृद्धी, धन- संपदा आवसे।।

 

अश्विन महिनाक कृष्ण पक्ष पासून श्राद्ध सुरू होसेत।

अना सर्वपीतृमोक्ष अमावस्या वरी श्राद्ध करे ज़ासेत्त।।

अग्निदाह संस्कार की तिथी सराद की तिथी धरसेती ।

प्रथमा,द्वीतीया असीच अमावशा वरी तिथी आवसेती।।

 

हर घरमा देवघर पाहीजे ना ओकमा पि-तरकी चवरी।

जिनका आमी वंशज ऊनक नाव की पेटाओ टवरी।।

गरोमा कुशको जानवा,हातमा कुशकी मुंदी करसेती।

कोणी फेकसेती कागुर,कोणी सितबिराणी टाकसेती।

 

हिंदु संस्कृती मा श्राद्ध ला खुप मोठो महत्व आयी से।

आपल पित्तर का ऋण फेळनकी संधी मिल गयी से।।

सराद ला पाच पन्नास लोकईन ला जेवणला देसेती।

आपल शक्ती नुसार पुजा करशान ऋण चुकावसेती l

 

ख्याल ठेये पाहीजे, पोवारीमा खुप महत्व से चवरीला।

अपमान नोको करो ओको,दुख़ाओ नोको पित्तर ला।।

परंपराला नोको तोळो,जागो ना आपला डोरा खोलो।

वयच   आपला   दैवत आती   ऊनला  नोको  भुलो।

 

पितृतुल्य सब जीव ईनकी जिवंतपणच सेवा  करो।

बळजाय किरती तुमरी,असो जीवनको  ठेवा करो।।

ॐॐॐॐॐ

✍️डी पी राहांगडाले

गोंदिया.

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8.  सराद

**************

पितृ ऋण को यव त्योहार,

लेयके पंचाग होय जावो तैयार ll

 

भाव भक्ति लक करो पुकार,

पितृ पक्ष मा करो सराद ll

 

आपरो पितृ की याद मा,

सराद करो पितृ पक्ष मा ll

 

पुण्य कमावो समाज मा,

पुण्य आत्मा को याद मा ll

 

पितृ ऋण ला दूर करे,

पितृ को जो सराद करे ll

 

शांति भेटे आपरो पितृ ला,

कर्म फल प्राप्त होये सबला ll

 

 करे आपरो पितृ को जो सराद,

 पुत्र कर्म लक होये आबाद ll

 जीवन को यव सराद दस्तूर,

सब संकट ला करे दूर ll

 

पितृ ऋण लक मुक्ति पावो,

सब मिलकर सराद करो ll

 

पंधरा दिवस पुण्य कमावो,

आपरो पितृ को मान बढ़ावो ll

✍️प्रा.डॉ.हरगोविंद टेंभरे

मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया

मो९६७३१७८४२४

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9.  श्राद्ध

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भाद्रपद-कृष्ण-आश्विन पक्ष ला आवंसे श्राद्

पूर्वजं इनला तर्पण करके करं सेत याद ll

 

येनं दिन धरती पर उतरं सेती स्वर्ग लक पित्तर

आदित्य-रुद्र-वसू श्राद्ध देवताको आगमन भूपर

तिथीनुसार संतान भक्तीभाव लक करंसे सराद ll

 

मायबापला सुमरस्यानी जोडंसेती दुही कर

चवरी पर चढावं सेती बिरानी कागुर

पूर्वज इनला करंसेती मनपासून याद ll

 

सराद ला बनं से सुवारी-बळा दार-भात

दोनामा कढी ना पत्राळमा पापड की साथ

बडो निरालो सें पंगत मा जेवण को स्वाद ll

 

श्राद्ध ला कुसार जवाई पाहूणा भास्या-बहीण

कोणी करं सेती दानधर्म  ना ब्राम्हण भोजन

लेसेती पित्तरं को  शुभ-आशीर्वाद ll

 

 

नैवद्य देसेती कावरा-कुत्रा-गायला

कावरा खासे तं अर्पण होसे मायबापला

तृप्त होसे आत्मा उनकी पावं से सराद ll

 

जितो परच करो जन्मदाता को मान

अन्य कही तीर्थ नहाय उनको समान

उनको चरण मा भेटं सें स्वर्ग सुखद ll

                                              ✍️ शारदा चौधरी

भंडारा

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10.सराद

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पीतरों की पुजा, सराद आयेव।

हर्षीत भयोव, मन मोरो।। १।।

 

आजा पणजोबा, आमरा पीतर।

मोक्षला आतुर, रवसे ती।। २।।

 

सराद को सण, पीतर भोजन।

कुसार भोजन, करसेती।। ३।।

 

पंच पकवान, भाजी ना घीवारी।

भज्या बडा, पुरी, भोजनमा।। ४।।

 

पंधरा दिवस, रव कृष्ण पक्ष ।

सर्व पितृमोक्ष, अमावास्या।। ५।।

 

निवा ना निवज, टाकबी कागुरी।

श्रध्दा की उभारी, सरादमा।। ६।।

 

सरादको दिन, पीतर को धावा।

मोक्ष देगा देवा, पीतरला।। ७।।

 

सराद कागुरी, टाको तुमी बहु।

नोको भुलो भाऊ, मायबाप।। ८।।

 

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर ६/९/२०२०

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11.श्राद्ध : पुरखा गिन को सम्मान

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आमरो अज़  बीतयो  बेरा  कल  की  विरासत से !!!

ये आमरा अज को नाव पुरखा इन की धरोहर से !!/

काहे नि करू मि असो हेत आमरो पुरखा इन ला!!!

 

मोरो येव सब  कुछ पुरखा गिन की धरोहर च से !!!

वेय जवर नाहाती मोरो पर मि उनको अंश आव !!/

वेय  सबच  बेरा मोरो जवर न मन  मा रहो सेती !!!

 

उनको  देख्या सपन च त  मोरो तो यो  अज  से !!!

सब  कुछ  सोड़  देईन न  मोला धरोहर सौपीन !!/

आता  मोरो  काई  कर्तव्य  नहाय उनको लायी !!!

 

वेय देव जवर सेतना नहीं आन सकू  मि उनला !!!

पर येव पितृ पक्ष की बाट देखूसू  मि  हर बरश !!/

यो होवसे पुरखा इन संग मिलन को विशेष पल !!!

 

मोला रहोसे असिआस की मिलहे उनला शांति !!!

होवसे विशेष पूजा न बन से  श्राद्ध को पकवान !!/

श्राद्ध की पूजा लक होवसे पितरो इन को तर्पण !!!

 

यो दान  न तर्पण होवसे  प्रकृति ला  पुरो अर्पण !!!

हे देव देय दे  मोक्ष मोरो  सबरो  पूर्वज गिन ला !!

अना प्रार्थना करुसु  मि देवा न पुरखा  गिन ला !!!

 

मोला देय शक्ति की करु भक्ति माय  बाप की !!!

इनकी सेवा न भक्ति देहे ख़ुशी मोरो पितरों ला !!

बनाय राख जोश ऐतरो आशीष कर्म करन को !!!

 

पुरो होये  तुमरों सपन पुरो मोरो आचरण लक !!!

देव स्वीकार कर मोरी भक्ति ,दान अना तर्पण !!

अना देय  मोक्ष मोरों  पुरखा इन की आत्मा ला !!!

 

✍️बिंदु बिसेन

बालाघाट

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https://drive.google.com/drive/u/2/my-drive




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