Thursday, October 15, 2020

मंडई, मेला 08

     मंडई. ( मेला)

आयी रे आयी गावकी मंडई आयी
खूपसारा पावना ,दुकान,झुला की नवलाई

पू पू पिंगारी,अना लेबिन बासरी
छकूली साती लेबीन बाहुली हासरी

दस दस रुपये का खाबिन सिंगाडा
बचेव पैसाको लेबिन एकतरी घोडा

झुला पर बसन गावबीन वारा संग गाणा
रात मा देखबिन नौटंकी राजा को बाना

चल बापा चल दंडार से मंडई माच
टिपरी धरकन देखावबीन गौळण नाच

 शेषराव येळेकर
दि 12/10/20


     मंडई (मेला)

मंडई की मोला रवसे बाट
आवसे फुफाबी निक्कू को साथ
कौस्तुभ भाऊ को रवसे ठाठ
पैसा साती वू मंडावसे आट

आवसे वु काका काकी संग
जमसे खूब मंग आमरो रंग
नवा नवा कपडा पहनो मंंग
फुगावालो आयेव करं पोंग पोंग

माय सबला रुपया देसे दस दस
अजी की चंचि बजसे खन खन
फुगावालों आयेव पराओ दन दन
लाल हिरवा फुगा उड्सेत भर भर

संतरा बस्या टोपलिमा देखत टकमक
सिंगुडा काटेपरा चमकसे चमचम
कोनी मारं दांडी चिवडा तोलं कमकम
गर्दी मा बजसे अगास पारना करकर

जलेबी सिंगुडा केरा  खाया पोटभर
फिर फिर गया आमी बस्या थककर
सबको खिसामाका पैसा गया सरकर
चल कौस्तुभ काकाला मांगबिन पटकर

सौ छाया सुरेंद्र पारधी



  मंडई (मेला)
    
मनपसंद की चीज देखनला। 
मंडई मा गयेव होतो फिरनला।धृ। 
सिंगाडा खायेव, चना बी खायेव। 
कुटकी का लाडू बी खायेव। 
गपागप गुपचुप खानला।। १।।

फुगा लेयेव, बंदूक बी लेयेव। 
लाल वालो पट्टा बी लेयेव। 
अगास पारणा मा झुलनला।।२।।

आस्वल देखेव, बंदर बी देखेव। 
कारो वालो घोडो बी देखेव। 
सरप मुंगुस की लढाई देखनला ।।३।।

नाच्या देखेव, पेंद्या बी देखेव। 
टारा टुरी की दंढार बी देखेव। 
शाहिर का गाना आयकन ला।।४।।

                      - चिरंजीव बिसेन
                                  गोंदिया



            मंडई (मेला)
                            
माय ओ माय, काहाय ओ बेटी
आखर परा भरीसे  मंडई मोठी
चलनाओ जाबिन देखन साठी
लेयदेजो तु मोला गरोकी गाठी

                            अशी जोरदार से  मंडई  भरी
                          लगगया सेत दुकान ओरीओरी
                           गावन गाव की  सेती दंडारी
                         डफलीको बाजा,नाच काटकरी

मंघानी गयी होती सखीक संग
मंडई देखशानी रय गयी दंग
फुगाको दुकान अलगच रंग
सन्त्रा सीन्गाळा,दुकान मंग

                           रंग रंगका दुकान लग्‌या सेती
                         गोळगोळ जलेबी ताजीच होती
                              मंडईमा मजा आवसे मोठी
                            चलना ओ माय देखन साठी

माय संग मंडई देखनला गई
दंडारकी लावणी, दंगच भई
संतरा,सिगाळा, ना रसमलाई
मंडई देखेव त मी खुशच भई

                           सेव पापळी चिवळा ना खारा 
                          पेळाखजुर,पीक्या पीक्या केरा
                           खाजो खानकी बयगयी धारा
                        भरी होती मंडई गाव बरबसपुरा
                                        
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया


छुट्टी की धमाल
       मंडई
चल रे छोटू, चल रे बोटु
मंडई देखन ला।
नवरी सरीखो गाव सजी से 
चवूक आंगण मा।।

डरामा को मंडप अना दंड्यार 
को नाच देखबी।
खिलुना का दुकान ना पावनाईन
को साज देखबी।।

शिंगाळा की चव अना जलेबी की
गोडी चाखबी।
हांडी फुगा उळावबी अना पोंगी को आगाज करबी।।

दिवारी को फटाका को धमाका
जोरदार करबी।
आया पावना गावोनगाव का उंको
पावूनचार करबी।।

शाळा को छुट्टी मा अज पुरोपुर 
धमाल करबी।
सब मिलस्यान मंडई को दिन
यादगार करबी।।

कवी- महेंद्र रहांगडाले
मच्छेरा(सिहोरा)


    मंडई (मेला)

(चाल: या बाई या, बकुळीच्या झाडाखाली फुले वेचू या)

आवो जी आवो-२ 
डोंगरगावं मंडई देखन सबजन आवो ॥

संगमा लावो-२
उत्कर्ष ग्रुपका सारा सदस्य धरकन आवो ॥

गाय खेलन को दिन-२
माहातनिबेरा मंडई रात्री ड्रामा देखबीन  ॥

दूसरो दिन पासना-२
सबको गावकी मंडई देखबीन दुय महिना ॥

रिमोट की गाडी-२
मंडई मेला देखन जाबिन चोपा मोहाडी ॥

खाबिन सिंघाड़ा-२
मामा गावं मंडई देखबीन परसवाडा ॥

भजो मी आव्ं-२
आत्या गावं मंडई देखबीन दासगाव ॥

झुला झुलनला-२
बिर्सी मंडई लसूनको पानका अक्स्या खानला ॥

होये पाहुनचार-२
मंडई तमाशा देखनला जाबिन सितेपार ॥

नाटक डंढ्यार को-२
हप्ताभर मंडई आसपास सिंदीपार को ॥

सिहोरा तुमसर-२
पखानबेदका अक्स्या अना सूरन पोटभर ॥

समोसा भजिया-२
छत्तिसगडी डांस देखबिन चुटिया गोंदिया ॥

खाजा मिठाई-२
खेल खिलोना रिस्तेदार अना संगीभाई ॥ 

असो प्रकार्ं-२
सबको गावकी मंडई देखबीन महिनाभर ॥

गावकी मंडई-२
येको सामने फिकी पड़ी पूना मुंबई ॥

प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई
मो. 9869993907



      मेला/ मंडई

गाव मा भरी से ग्यारस की,
रात दिन की, मण्डई मोठी।
बाल बच्चा,जान लाई,
कर सेत हठी।
मण्डई आय एक प्रकार को मेला,
अना यको मा होसेति झमेला।
मण्डई मा गोवारा नाच सेत नाचा,
नाचा देख के मन मा होसे हासा।
मण्डई भरावन वालो को रव्हसे दम,
गोवारा नाच सेत झमाझम।
सिंगाड़ा मिठाई को बाजार हाट,
दुकान वाला देख सेत,लेनार की बाट।
मण्डई देखन ला जासेत माई पिला,
सिंगुड़ा मिठाई लेय के देसेत टुरु पोटू गिनला।
दिन कि मण्डई मा डंडार को सोंग,
अना रात की मंडई मा ड्रामा को ढोंग।
बाल बच्चा लेसेत फुगा ना पेपारि,
मण्डई मेला की मन मा खुसी भारी।
मण्डई मा होसे झंडी मुंडी को जुवा,
मेला मण्डई की रव्हसे हवा।
असो मा नोकर चाकर रवहसेत नदारत,
काम धाम की मालिक ला होसे फजीहत।
दिवारी को बाद मा मण्डई की, रव्हसे चार दिन की रवनक,
आपस मा भाई चारो कि देसे दस्तक।

     व्ही, बी, देशमुख
        रायपुर ।


       मंडई(मेला)

           उत्सव
भयी दिवारी,आयी नवतरी 
गावं गावं मंडई मेला, चलो रे मंडई देखनला।।धृ।।
    
     उंचा उंचा अगास पारणा
     वरत्या ना खालत्या फिरोणा
     मंडई को आनंद लुटोणा
जलेबि ना सिंगाडा़ खानला।।१।।

     दंड्यार,तमाश्या नाच देखो
    संस्कृती की या झलक देखो
    गोवारी ढालको नाच देखो
बिरवा ,बाजा, नाच ,आयकनला।। २।।

   गावका पुढारी बससेती
   पान सुपारी सब खासेती
    नविन दिशा गावं देसेती
मन मैजी मेला फिरनला।।३।
 
   म -म्हनजे मटक मुटक
  ड- म्हनजे डकल ढुकल
   ई-को अर्थ ईतन  उतन
हावश्या,गवश्या नवश्याला।।४।।

    सालमा यो दिवस आवसे
    लहाना टुरू गुबारा खेलसे
     पिपारी ना पाऊल बजसे
मंडई को आनंद  लेनला।।५।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया


                 मंडई

चल माय चल मामा को गावं जाबं
जोरसोर मंडई यंदा वहा की देखबं

मंडई भरी से गाव को आखर पर
काटकर नाचं सेती बाजा को तालपर
पोंगा को आवाज बी लगं सें गजबं

टुरा खेलं सेती टारबाई टुरा की दंड्यार
इचबीच मा सोंग आनं सेत दुयचार
रातभर संगी संग नौटंकी बी देखबं

रंग नं रंग का लग्या सेती दुकान
सिंगुडा केरा संत्रा आनबं लेयस्यान
सेवचिवडा जलेबी को पुडा लेय लेबं

माममाय नं देईस पिवशी का पैसा मोला
खाजो खाऊन मी ना मामभाई भोला
मस्त मज्जा दुयी भाई आमी करबं

छकु साती लेबं बाहुली ना फुगा
सऱ्या आता ढबु तं रवबं उगामुगा
चल सुटसुट घर को रस्ता धरबं

               शारदा चौधरी
                भंडारा


मंडई/मेला

हउस मा सेती टूरु पोरटु अना दाई माई,
आवन को से तिहार, अता मेला- मंडई.

फसल साजरी अवन्दा पिकी से,
हाँसी-ख़ुशि को जीवन दिषि से.
दीवारी को उजाड़ो  घर-आँगन,
भीत गिनमा पुत्यो चुनो भिषि से.
मौसम न ली सेस अता अंगड़ाई.

हउस मा सेती टूरु पोरटु अना दाई माई,
आवन को से तिहार, अता मेला- मंडई.

उमंग उल्लास का होएती सब नज़ारा
मंडई भर घुमेति गाँव का सब गोवारा,
धक्का मुक्की चें-पें, और कान भिंगोली,
उड़ेति आसमान मा धुल्ला का गुब्बारा.
संगी-साथी संग मा होये खूब ठिठाई.

हउस मा सेती टूरु पोरटु अना दाई माई,
आवन को से तिहार, अता मेला- मंडई.

दाई-माई त लेहेत टिकली फुंदड़ा,
रंग रंग की मनिहारी फूल गोंदड़ा.
मरद हुन पान दबाय नाच देखैत,
मटकाय एक दुसरो को टोंड ला.
टुरु सिसौली चश्मा अना मिठाई.

हउस मा सेती टूरु पोरटु अना दाई माई,
आवन को से तिहार, अता मेला- मंडई.

मन त रहव्व से पर सबला शरम भी से,
रिश्तों नातो ला निभावनों करम भी से.
छत्तीसगढ़ी मा मोला कोई त नहीं देख,
सबको मन मा वहाँ एव भरम भी से.
भाऊ ला देख स्यार मुस्कावसे भौजाई.

हउस मा सेती टूरु पोरटु अना दाई माई,
आवन को से तिहार, अता मेला- मंडई.


तुमेश पटले
केशलेवाड़ा
9009051546

 मंडई

दिवारी की सुंदर याद,
लगी मंडई की साद l

पेपारी झुला की साद,
चकरी सिंगुड़ा की याद l

आकाश पारना की साद,
मंडई मा होसे सबकी साद l

बावुला बावूली की खेल,
होसे संगीत को मेल l

देखो जब डरामा को खेल,
जम से दंडायार को खेल l

रंगबिरंगा फुगा फुलाये,
बालक मन बहुत भाये l

 गाँव की मंडई जब आये,
 टुरु पोटु खुशी मनाये l

प्रा.डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२


मंडई /मेला

चल रे गण्या जाबीन का मंडईमां
मी चारू भज्या तू चारजो चुरमा..

मोला लेनकी से चाबीवाली गाडी
अना चमकनवली वु हात की घडी

बचायकन् ठेयेव् होतो मी पचास
मज्ज्या करबीन भाऊ झक्कास..

सिंगाडा की से रे आब् मस्त घात्
वापस आवबीन वाजनक् रे सात..

रातमां गोटाडी मोहला में से नाटक
सुटर टोपरा लगायकन् घूसबीन अंदर...

रणदीप बिसने
 

        मेला/मंडई

अजलक गोवारी नाचन बस्या 
गय खेलायके भयी आता ..

चल ना माय मंडयी मा 
मंडयी मा सब खेल खिलौना ..

चक्कर झूला पर मी बसून आता
पैसा देयदे तू देखता - देखता... 

मंडयी मा खाजो से मस्त 
सेव, चिवडा, जलेबी करबिन फस्त... 

खाजो लेयके भयेव आता 
माय चल आता घरं जाता.. 

मंडयी देख के भरेव दम 
मायको पिवशी का पैसा भया कम...

कौशिक चौधरी

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