नवरात्री को नववो दिन आवसे नवमी,
देवी सिद्धिदात्री क् रूप मा जासे पूजी.
नवरात्री क् ज्योत को करे जासे विसर्जन,
देवी की होसे आरती ना भजन किर्तन.
नव दिवस विविध रूप मा होसे देवीकी पूजा,
देवी की पूजा सरीखो पुण्य नही कोई दूजा.
पोवारईनकी कुल देवी से गढकालिका माय,
हर गाव मा स्थापना भई से बनके माता माय.
नवमी क् दिन पूजा साती बनसेती अठई सुकुडा,
आता नवीन जमानो मा आवसेती मिठाई का पुडा.
नवमी ला होसे नवरात्री उत्सव की समाप्ति,
सब लोक मिलस्यार करसेती देवी की आरती.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
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