मोरी सायकल
फिरसे सायकल को चक्का गरगर
बस्ता लेकर स्कूल जाबिन सरसर
सायकल मोरी कर नहीं करकर
संगी देखसेत सायकल ढूकढुकर
सुंदर सजी मोरी नवी सायकल
दूय चक्का का टायर काराभोर
पैडल ला लगी से कारो कव्हर
स्टैंड कमानी झेलसे ओको भार
सीट से येकी हिरवी हिरवी गार
हेंडिलला लाललाल लगिसे हार
असी मोरी सायकल चमकदार
संगी मोरा खासेत ओकी खाड
जब मी होसू सायकल पर सवार
लगसे मी सेव कही को राजकुमार
आपलोच तालमा जासु तरा पर
संगी मोरा भी बड़ा सेती बिलंदर
जासेजन सब संगी सायकल पर
स्कूल नहीं लग आमी सबला दूर
लेय मांगेव अजीला रोय रोय कर
दूय थापड़ का वर उमट्या पाठपर
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सायकल मास्टर जी की
मोरो मास्टरजी की सायकल होती।
24 नंबर वाली।
लंबी - लंबी अन कारी -कारी शीट।
मोरो मास्टरजी की होती वाह।
जिव लग प्यारी।
मास्टरजी होता लंबा- लंबा।
तशीच होती मास्टरजी की सायकल ऊंची- ऊँची।
हर दिवस आन त होता।
24 नंबर की सायकल।
अन मोला लगावत होता।
सायकल ला साफ करना साठी।
मि भी ओ तो चालू।
मस्त फिरा ऊ मि आपलो।
मास्टर की 24 नंबर वाली सायकल।
हाफ- हाफ कैची मार कर चलाऊ।
एक हा त मा हैंडल।
अन एक हा त मा शीट।
मस्त फिरा ऊ मी।
24 नंबर की मास्टरजी की सायकल।
एक दिवस असो भय व्।
मास्टर जी की सायकल भही पंचर।
अन मास्टर जी न करीना ।
मोला पिट- पिट कर पंचर।
अन वो न दिवस पाशुन।
24नंबर की सायकल कभी नहीं आनिंन मास्टरजी न।
अशी होती मोरी बचपन की सायकल
चंद्रकुमार शरनागत
सायकल
सायकल स्वारी छान छान छान
टिलंगी बजसे टिंन टिंन टिन।।
फिरनकी निराली मजा संग संग
रेस लगसे तब मन होसे दंग दंग।।
खुशी भयी जब बायसिकल आयी
लाल रंग देखेव तं झोप चली गयी।।
शाळा मा जानकी मज्जा आवसे
सायकल सबकी जोरलं परासे।।
"""जय राजा भोज जय माँ गड़काली"""
वाय सी चौधरी
गोंदिया
संगी की सायकल
संगी संगी जाबी स्कूलमा अभ्यास करबिन,
शिक पड़ श्यारी माय बाप को नाव कमावबिन।
चल रे राम्या स्कूलमा लवकर स्कूलकी बेरा भई ,
मी बी आऊन स्कूलमा ना आए मोरी मोठी बाई।
दिवस चढ़ेव वर्या बज गया अकरा,
जल्दी चल नहींत गुरुजी बनायेती तोला बकरा।
लवकर चल कसु त मोरी आयकस नहीं,
टाइम लगाव सेस भाऊ तु टुरी पोटी घाईं।
मोरी सायकल खटारा ना तोरी सायकल से नवी,
फटा फट पयडल मारसेस तु मशीन वाणी।
बाबुजी को लहांनपनकी सायकल से आमरो घर,
जुनी से तरी बी फिरसे गर गर।
मी लेयकर मांगून बाबूजी ला नवी सायकल ,
अना स्कूल मा पोहोचुन सब दून लवकर ।
करून अभ्यास मी आनुण एक नम्बर,
गर्व लक ऊंच करून माय बाप को सर।
फनेंद्र (बंटी) चौधरी ,
सायकल सवार
चल संगी जल्दी चल
स्कूल की बेरा भयी,
उशीर होये त् गुस्सा होये
आयी से मॅडम नवी नवी.
जोर जोरल् पैडल मार
भेटे पाहिजे प्रार्थना,
नही त् हेडमास्तर रव्हसे
छडी धरकर हातमा.
बडो कडक से गणित को सर
कान पिळसे थोडीशी गलतीपर,
नही पिळीस कान वोन् त्
छडी मारसे हात हातपर.
इंग्लिश को सर शिकावसे मस्त
सामने बढ गया टुरा बी सुस्त,
वोक् समझावन क् कारण लका
इंग्लिश मा सब बन गया मस्त.
छुट्टी क् बाद मा मिलबीन सब
खेलनला जाबी ग्राऊंड मा खेल,
दिवस बुडता चौपाटी मा जायके
खाबीन गुपचुप, चाट ना भेल.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
सायकल आमरी दोस्त्
चल रे बंड्या चक्कर मारबिन
मनला आपलो ताजो करबिन
सायकलपरा सवार होबिन
सायकल आमरी मस्त्
सायकल आमरी दोस्त रे भाई सायकल आमरी दोस्त//धृ//
पेट्रोल नइ डिजेल नइ
नइ लग् वला चारा
व्यायाम होसे चलाय चलायकन
फक्त टायरमा् वारा
बालपण आमरो रंगिन करसे
नइ लग खर्चो जास्त।।१।। रे भाई सायकल आमरी दोस्त
गरिबिमा् वा साथ देसे
गाडीकी वा मजाच देसे
टिलंगीकी का मजा आवसे!
उतारपरा वा सरसर जासे
सायकलका आमि भक्त //२//
रे भाई सायकल आमरी दोस्त
एकविसावो शतक विज्ञानी
यंत्रयुगकी से मनमानी
सायकल आमरी बढी सयानी
गरीब -अमिरकि से दिवानी
सायकल प्रदुषणमुक्त //३//
रे भाई सायकल आमरी दोस्त
छोटो कामला सायकलच बरी
बात सांगसु एकदम खरी
गाडीकी लत नाहाय बरी
मस्त चलावसेत टुराटुरी
सायकल चलाओ मनसोक्त।।४।।
रे भाई सायकल आमरी दोस्त
पालिकचंद बिसने
सिंदीपार (लाखनी)
आमरी साइकिल चली
चली से येन गल्ली को वोन गल्ली,
साइकिल चली गाँव की गल्ली ll
लहान लहान संगी साथी आया,
फिरन आमी आखर पर गया ll
कोनी चलावसे कैची साइकिल,
कोनी चलावसे डंडा साइकिल ll
आमला प्यारी से लहान साइकिल,
बड़ी न्यारी से आमरी साइकिल ll
स्कूल साठी काम की साइकिल,
शरीर वायाम साठी से साइकिल ll
पर्यावरण सवर्धन साठी साइकिल,
लहानपन की साद साइकिल ll
टोंगरा फुट्या सिक्या साइकिल,
तरी प्यारी से आमला साइकिल ll
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
सायकल
सायकल,सायकल sss
मोरी नवीन सायकल //धृ //
मोरी सायकल नवीन कोरी
नजर नोको लगावो भारी
हीरवो रंग दिससे मोठो छान
लोक देखसेती मोरीच शान //1//
दुही चक्काला ला सेती गजरा
लाल,हिरवा दिससेती साजरा
गोल गोल फीरसेती चक्का
देखसानी होसेती हक्काबक्का //२//
मंघ ना पूळ सेती क्यारीयर
पाणीकी बाटल,ठेवून दप्तर
मोठोजात सीट रंग से कारो
ओकलका दिससे रूदबा मोरो//३//
पयडल मारून मी पटापट
स्कूल मा जावुन झटपट
पैदल जानकी मिटी कटकट
काम होसेती मोरा फटाफट //४//
सोय होसे मोला आवनजानकी
नही रव फीकर बेरा होनकी
बेरा पर आपल स्कूल मा ज़ासु
टूराईन संग रेस लगावुसृ //५//
सायकल चलावुन होय व्यायाम
झटपट होयजायेत मोरा काम
अशी सायकल की मोरी सवारी
सब दुन प्यारी सबदुन न्यारी //६//
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
सायकलिंग
एक वर्ग का संगी आमी भरूसो आयेव बेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२
मी टोपीमा गणेस बिचमा निलो सर्ट नितेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥धृ॥
गांधी जयंती को दिन होती 'स्लो सायकलिंग'
सवार होयके आमी आया घंटी टिलींग टिलींग
मी दूसरो गनेस तिसरो अना नितेस अव्वल किंग
यनं खुसिमा अजीनं देईस बक्षिस नवीन ड्रेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥१॥
एक दिवस आपलो सायकल की क-या ओरालिंग
अना उता-या नवरात्रीमा 'एक मैल की रेसिंग'
पयलो मी दूसरो गनेस तिसरो नितेस की टायमिंग
अर्धो रेसमा बाकी सबको तोंडला आयेव फ़ेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥२॥
पायडल सीट कवर मुठ बफ्फर डायनॅमो लगायकन
इस्कूल को गॅदरींगमा स्पर्धा 'सायकल डेकोरेसन'
सबमा सुंदर मोरी बाशिंग वाली सायकल एकठण
पयलो नंबर मोरो, दूसरो नितेस तिसरो गनेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥३॥
संकरातला भुमसारोकी 'सायकल मेराथन'
हजार पाचसौ सायकल निकली उलवे लक उरण
गनेस पयलो नितेस दूसरो मी तिसरो यनं गन
'सबला सांत्वन बक्षिस' मिलेव सबको पसुपेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥४॥
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
सायकल अना दोस्ती
दोस्ती से आमरी बडी न्यारी
चलो करबीन सायकल सवारी
मनको रीस्ता लका बंधीसे
दोस्ती से जगमा सबसे प्यारी
तुमरी ना मोरी दोस्ती म्हणजे
आकाश माको शुभ्र तारा
बंधेव मुठ की ताकद से जगमा
अना बढावसे भाईचारा
कभी कट्टी,कभी माठ्ठी
कभी होय जासे लडाई झगडा
मनमुटाव होयेव परा बी नही टुट
असो से आपलो प्यार तगडा
इश्कुल पासूनत घरवरी
संग बसके माऱ्या गावमा फेरी
सायकलको सामने आळवी भयी
गावको पटीलकी कारी शेरी
मौजमस्ती भयी सायकल परा
अतुट रिस्ता से दोस्ती अना सायकलको
हमेशा याद आवसे लहानपण आता
सुख दुख भऱेव दीन होतो बचपनको
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि.गोंदिया
सायकल
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.
सर सर, ट्रिंग-ट्रिंग, बड़ी से आब रेस मा,
सीट पर से सुंदर टुरा, स्कूल की ड्रेस मा.
नहीं बसाईस वोन कोइला सायकिल पर,
त संगी हीन न धसायदीन टायर मा किल.
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.
सायकिल वोकी बड़ी चकबम से,
हवाईजहाज ल कहाँ वा कम से.
येन उमर की या मस्ती की सवारी,
खयाल मा चल से टुरा कई मील.
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.
राम करे सबला मिले असी सुविधा,
बचपन मा नोको होय कोई दुविधा.
खेल, मस्ती का येन प्यारा दिन मा,
नहीं मरणो चहिएसे कोई तिल-तिल.
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)
मोरी प्यारी साइकिल
मोरो अजी जवरसे एक नीली साइकिल
होवसे जरासी ऊंची मोरो कद से नाहनो
पहले पासून मी शिख्यो चलावता कैंची
आता बसुसु सीट पर कोनही त पहचानों
शिखन मा फुट गया मोरा दुही या टोंगघरा
अखिन शिखनोसे कोनी दवाई आनों जरा
गयो शिखन ला मी गांव को आखर जवर
पड्यो धड़ामलक अना घुमन लगी पूरीधरा
अजी मोरो धरया साइकिल मा आपरा हाथ
सीट पर बस गयो जब मिल्यो उनको साथ
आता मोला लग्यो बनगयो मी पुरो महाराजा
अखिन पड्यो खाल्या अना बज गयो बाजा
गिरता पड़ता आता सिख गयो मी साइकिल
रोजको अभ्यासमा नहीं देयो काई मीना ढील
पंहुच जासु जल्दी शाला आता सब संग मिल
उड़ता जासु जल्दीलक जसो उड़से पंछीचील
घरको काम लक आता बजार जाय सिकुसु
माय अजी को काम मी जल्दी कर सिकुसु
दादादादी की दवाई मी आता आन सिकुसु
साइकिललक आता सबऊजा जाय सिकुसु
मोरी संगी से साइकिल से येव सदा प्यारी
मोरी प्यारी नीली साइकल सबलक न्यारी
शाला की भयी बेरा आता करुसु तययारी
चल मोरी साइकलचल मोरी प्यारी दुलारी
ऋषि बिसेन, बालाघाट
सयर
सोनु मोनु अना गनू
चल्या नवेगाव सयर
पक्षी निसर्ग देखन्
सायकल पर सवार !!
सोनु न् धरीस रोटी
मोनु न धरीस पराठा
गणूक् सिदोरीमां से
रसगुल्ला को आटा !!
हवा पंचर की बी
व्यवस्था से संगं
गानइनकी मयफील
चढावसे वु रंग !!
हिरवोहिरवो सीन
चिकनचकन रोड
मस्तीभरो माहूल
लगसे ना गोड !!
रणदीप बिसने
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