Sunday, November 22, 2020

तुलसी का बिहया का श्लोक




तुलसी को बीह्या का श्लोक
                       
पयले सुमरूण गढ़कालीका कुलदेवी आमरी
आशीर्वाद देजो मा आमला पावन धारानगरी 
राजा भोज का वंशज आमी पुजा करुन तोरी 
शुभाशिष देजो सबला या कामना करजो पुरी
             कुर्यात सदा शुभमंगलम सावधान।। १।।

तयार भयगया नवरदेव नवरी बिह्‌यासाठी अता
आयेव सब समाज मोह धरशान जपी तपी नेता
आशीर्वाद देती सब तोला मंगलमय शुभ कामना 
सुखी रहे संसार तुमरो अर्पण करसेती सद्‌भावना 
             कुर्यात सदा शुभ मगलम सावधान।। २।।

कण कण लका धरती बनी बुंद बुंद लका सागर
जन जन लका समाज बनेव बनगयेव धारानगर
पावन धरती धार की से  आमरी  भारतभुमी पर 
सुख शांती लका नांदसेती पोवारकी छ-तीस कुर 
             कुर्यात सदा शुभ् मंगलम सावधान।। ३।। 

चौदा भुवन सातही तला तिन लोक मा देखेव नही
चार धाम चौ-याशी पुरी सय शास्त्र को लेखेव नही
मंदीर मंदीर फीर गयेव पर ओको पता लगेव नही
आचार बिचार शुध्द ठेवो ओक बीन देव भेट नही
             कुर्यात सदा शुभ मंगलम सावधान।। ४।।

सतीत्व  हरण भएव  वृंदा को मारे गयेव जालंदर
श्रापलका गोटा भएव विष्णु तुलसी बनी वृंदा नार
एवच दिवस आयेव  होतो कार्तिक शुध्द एकादशी बीह्यामा नवरदेव शालीग्राम नवरी बनगयीं तुलसी 
              कुर्यात सदा शूभ मंगलम सावधान।।५।।
                               
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया

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