फुरफुरी
फुरफुरी ओ बाई फुरफुरी
तोरी रंगत से मोठी न्यारी
जशी आकाश की तु परी
दिससेस सुंदर मनोहारी
लाल, पांढरा सेती तोरा रंग
कधी हिरवी,कधी गुलाबी मंग
रयज़ासेत सब देखकर दंग
मज्या आवसे मंग तोरच संग
दीवोकी ज्योत जसी लगे तोला
इन्द्रधनुष को नीकलेव वु गोला
जसो आकाश मा भऴके शोला
पटकर भगावसेस तु अंधारोला
गोल फिरावन मज्या आवसे
तोरोच कर देखू मनमा भावसे
आकाशतारा जमीनपर आवसे
फुरफुरी संगच समय बित जासे
फुरफुरी की सीख मनमा धरो
आपल जीवनमा उजाळो करो
परायजाए सब जीवनको अँधारो
सुन्दर,सुखमय होय जीवन सारो
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
दिवारी क् छुट्टी मा मजाच मजा,
फोळबीन फटाका करबीन पूजा.
पाच दिवस चलसे दिवाळी को सण.
मजा की से भरमार, प्रसन्न से मन.
फुरफुरी , चकरी, फटाका फोळबीन सब,
चार बजे फिरनला मंडई मा जाबीन सब.
सिंगाडा, लाडू , चना लेयकर आनबीन,
मिल बाटकर सबजन बाटा बाटा खाबीन.
स्कूल ला से पंधरा दिवस मस्त लंबी छुट्टी,
किताब ना अभ्यास संग से आब आमरी कट्टी.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
फुलझड़ी
रंग-बेरंगी प्रकाश उधडे मोरी फुलझड़ी
जलावताच मज्जा आवसे संगमा सवंगडी
दिवाली को रात मा रात रवसे कारी कारी
गोल गोल घुमावता मज्जा आवसे भारी
फुलझड़ी जलावताच विकरीत होय प्रकाश फूल
जसो मोरो हातमा पारिजात को फूल
दिवोला लगावताच उडसेती अनेक तुषार
मोर पिसारा फुलेव असो बनसे आकार
एक एक फुलझड़ी देसे मोरी बहना
राघो सोडकन भाई साठी गाणा गासे मैना
हर्ष उल्लास संग आनंद देसे फुलझड़ी
मुंगी अना साखर की जमी डब्बा मा जोडी
फुलझड़ी हो फुलझड़ी तू बडी प्यारी
जोडी जमसे दिवाली मा मोरी अना तोरी
शेषराव येळेकर
दि२३/११/२०
फुलझरी की मज्जा
फुलझरी जरावो,सब आनंद मनावो
दिवाली ला सब ,बम ,नोको उळावो।।
रंग रंग शलाका,अंधारो मा उजाडो़
संगी भाई मजालं, अनार उड़ावो।।
सालं मा योव ,एक दिवस आवसे,
फुलझरी की मज्जा,सबला आवसे।।
प्रदुषण को धोका,नहि होय कमी
हर प्रकारकी फुलझरी ,सुंदर निकामी।।
फुलझरी तारला ,संभाल कर ठेवोना
छतरी साठी मग काम आवसेना।।
अशी जरावो फुलझरी सालमा
नवचैतन्य आय आपलं जिवनमा।।
जय राजा भोज, जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया
आतिशबाजी
(चाल: मेरा जुता है जापानी...)
आई आई रे दिवारी
मोरो मनमा मौज भारी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥धृ॥
धड़ाड़धूम फट फुट्या फटाका
गुंज्या गली मोहल्ला-२
उत्सुकता मा टुरूपोटू सब
करन बस्या हो हल्ला-२
आतिशबाजी रहे जारी
तुरसी बिह्या सरत वरी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥१॥
लक्ष्मीबम सुतलीबम फोडो
देखके खुली जागामा-२
लडी रॉकेट अनार उडाओ
खुलो खुलो हवामा-२
टिचकोली अना साप की बारी
सपरीपर फिराओ चकरी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥२॥
जरती फुलझडी हातमा लेके
निकल्या प्रकाश फवारा-२
रंगबिरंगी तारा चमक्या
इंद्रधनुषी पिसारा-२
कारी रात से अंधारी
फुरफूरी लका उजारी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥३॥
आतिशबाजी करो अगर सेत
संगमा मोठा कोणी-२
उनकी सलाह को पालन करके
टल जाये अनहोनी-२
फोडो फटाका बारी बारी
मस्त मनाओ खुशियाँ सारी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥४॥
अजी माय समझाव्ं फटाका
हातमा नोको फोडो-२
सावधान रयके फड़कावो
लापरवाही छोडो-२
प्रदूषण ना होवे भारी
निसर्ग संग ठेवो यारी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥५॥
आतिशबाजी सबला सिकाव्ं
करो उजारो मनमा-२
सावधानी लक कदम बढावो
यश मिले जीवनमा-२
झगमगाट करस्यारी
मिटावो तिमीर 'प्रहरी'
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥६॥
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
फुरफुरी (फुलझडी)
छुट्टी लगी शाळा ला दिवारी सें आई
खुशीलक फुरफुरी जरावबं दुही भाई ll
अजी मोला तुमी दुकान मा लिजावना
फुरफुरी का दुय चार डब्बा लेय देवना
डब्बा पर फुरफुरी को चित्र की सें छपाई ll1ll
मोरा संगी फोडं सेत पटाखा अनार
पर मोला लगं सें मन मा भेव मार
फुरफुरी की उदबत्ती समान बनवाई ll2ll
अजी तुमी रवो संग आमला धरकन
आमी फुरफुरी पेटायकर आनं सेजन
जराये पर देखो वा कशी तडतडाई ll3ll
अंधारोमा फुरफुरी फिरावुसू गोलगोल
परी को छडी समान मोला येको मोल
आसमाको तारावानी झिलमिल जगमगाई ll4ll
फुरफुरी जरं सेतं झडंसेत कई मोती
लाल पिवरो रंगकी निकलंसेत ज्योती
देखो मोरो मुन्नू ला कसी मज्जा आई ll5ll
फुरफुरी जरावंन की बडी रंगत न्यारी
मोला तं या सें पटाखा दून प्यारी
फुरफुरीसम जलकर सबला देबं रोषणाई ll6ll
फुरफुरी जराये लक नहाय धोका
प्रदूषण को बी नही आवं मौका
येको तार लक करून छत्री की बुनाई ll7ll
शारदा चौधरी
भंडारा
दीवारी की फुरफुरी
चलो आय गयीं से दीवारी,
उमंग अना मस्ती से प्यारी ll
टीचोकली,बंदूक,अना फटाका,
गोल चकरी अनार संग फुरफुरी ll
रंगबिरंगी उजाडों वाली फुरफुरी,
आमला सबला भाये फुरफुरी ll
खुलो जागा मा जरावो फुरफुरी,
परिवार को संग पेटावो फुरफुरी ll
सुरक्षा को ठेवो सब जरुर ध्यान,
पर्यावरण को ठेवो आता मान ll
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
फुरफुरी
फुरफुरी बाई से बड़ी फुगरी
उगीमुगी जब पाकीट मा भरी
आच लगावो त भडक जासे
होय जसे वा कारी की पिवरी
निकलसेत इंद्रधनुष्य का रंग
देखकरं लहान मोठा होसेत दंग
लेय मांगुसू जब रुंग रूंग कर
जरावन मज्या अावसे संगि संग
दिवोकी बाती जब लगसे तोला
रंग रंग रंगीत फुटसेत मंग गोला
हिरवा पिवरा लाल फुटसेत शोला
नवलच आवसे बाई तोरो मोला
दुही हातमा धर फिराउसु गरगर
आवाज आवसे बड़ो बाका तड़तड़
नाेको जारू बकरा मायकी बड़बड़
चकरी पायजवर लक जासे सरसर
मज्या आवसे दिवारी मा मोला भारी
आवसेती काका काकी ना फुफबाई
सब मिलकर मनावसेजन दिवारी
पर फटाका प्रदूषण करसेत भारी
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
बचपन
निरागस से बालपन
सदा रव्हसे निश्छल भाव
राग,लोभ सब दूर रव्ह से
असो बालपन प्यारो गाव
उछलकुद,दंगा,मस्ती
कोनी काई कव नही
बिनधास्त खेल अविरत
आव कभी थकवा नही
दिवारी की फुलझडी
रवसे हमेशा चेहरापर
बोझ बी नही रव्ह कभी
कोनीकोच डोस्कापर
हर कोना खुश रव्हसे
चहलपहल सदा मचसे
बालपन मा जीवन
बडो खुशरंग रव्हसे
निरागस भाव चेहराका
कपट को नही बसेरा कभी
समस्या ,परेशानी,उदासी
रस्ता मा नही रव्ह उभी
वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
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