Monday, December 7, 2020

रेलगाड़ी काव्य स्पर्धा 15

 
रेल गाडी डबे वाली

गांगुरी गाय सारखा पाय
भलो मोठो शरीर की
कसी रहे तोरी माय

डबा पर डबा
स्टेशन पर का?लगसे भूक
जन सैलाब ला समायकन
करसेस झुक झुक

धरनो सोडनो स्टेशनपर
पोटमा समायोव जनसैलाब
बापरे बाप मस्त से
हड्डी मांस को कबाब

एक तोंड लंबो शरीर
देखता दुखसे मान
रस्ता पर चलसेस
न ठेवता भान

शेषराव येळेकर


                   रेलगाडी
                         
झुक,झुक,झुक,झुक गाडी ज़ासे
खुशी लका मोरो  मन भर ज़ासे 

लंबो  लंबो   ओको  रव्हसे तोंड 
धुव्वा ज़ासे ज़सी ह-तीकी सोंड

कसी चलसे जसा गांगुरीका पाय 
लोखंड रेल्वेलाईन पर घसरत जाय 

हर स्टेशन परा उभी रव्हसे लोकल 
पर दुय च्यार स्टेशन परासे स्पेशल 

फटाफट जासे चाहे जावो नागपूर 
पुना,कोल्हापूर  या जावो पंढरपूर

काश्मीर पासून जावो कन्याकुमारी 
 सुरत द्वारका या आसाम की फेरी

लंबी लंबी सफर जल्दी करावसे 
सबक मनाला रेल  मोठी भावसे 

पयले कोळसा ना मंग चल डीजल परा 
पर आता बिजली लका परासे भरभरा

तिकीट काहाळो ना झटसे पैसा फेको
पुरो भारत को सुंदर सलोनो रूप देखो 
                      
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया
बचपन की रेल गाडी

 बचपन की रेल गाडी
होती बहुत अनोखी
लाल लाल कलर
अन् कारो कारो धुवा
कोळसा पर चलत होती
बेभान हो य कर मस्त
पहले का ट्रेन ड्रायवर
होता बहुत मेहनती
डो स्कला बांधत होता
लाल लाल फेटा
याच होती उनकी पह चान
टी टी काका होता मस्त
लगत होता दुनिया मा सुंदर
काली पँट काळी कोट
अन् अंदर पांढरी जगा(शर्ट)
डोस्का पर मस्त सज काळी
काळी टोपी याच होती 
टी टी काका की पह चा न
 दुय जन च होता रेल गाडी
असली मा नायक
तिकीट होती  लाहन शी
खरडा की बडी मस्त
घण् घन घंटा बजा ओ
स्टेशन मास्तर मस्त
मी धावत धावत जात होतो
रेल गाडी ला धरण
अशी होती मोरो बचपन
झू ख झुख् अगीन गाडी
चलत होती मस्त

 चंद्रकुमार शरणागत

     रेलगाडी

झुक झुक झुक झुक 
रेलगाड़ी चलसे, 
नदी, नाला जंगल 
सब पार करसे. 

पटरी परल् धावसे 
खाल्या नही आव, 
स्टेशन परच रूकसे 
शहर हो या गाव. 

टिकीट लेयकरच जानो 
पडसे रेलगाडीमा, 
नही त् टिकीट चेकर 
करसे बहुत जुर्माना. 

दूर क् सफर साती 
करनो पडसे आरक्षण, 
तब सफर होसे सोपो 
अना मिलसे संरक्षण. 

रेलगाड़ी से सबसे सस्तो 
सफर को साधन, 
मून सबकी पहली पसंद से 
धनवान रव्ह या निर्धन. 

             - चिरंजीव बिसेन
                      गोंदिया


अगीन गाडी

अगिन गाडी कसी चलसे झुकं झुक झुक
खिडकीमा लक लोक देखसेत टुक टूक टूक

येतरी लंबी अगिन गाड़ी चलत रहे कसी
दूर दूर जासे पर, कसी थक नहीं कभी
आराम नहीं मिल ओला बड़ो होसे दुख!!१!!

एकघन मी भी गए होतो मामा को गांव
स्टेशन पर उभो रहकर दुख्या मोरा पाय
गाड़ी की बाट देखकर कोमाय गयेव मुख!!३!!

घडिकमा चांदा गाड़ी आई बजावत पोंगा
वरत्या लक निकलत होतो कारोकारो धुंगा
हात देखयेव आगगाड़ीला तसी वा गई रुक !!३!!

घाई घाई करसेत सब यहा होसे रेटा रेटी
पाकीट धरकन परासेत यहा चोरइंकी भीती
संभालो आपलो सोनोनानो जाये नहीं त लूट!!४!!

कसा बसा चढ्या यहा गाव जानकी खुशी
झाड परात होता मंग मंग हरणी को भांती
नदीको पानी मा पैसा टाक्या एक मुठ!!५!!

एक एक टेसन गयेव दिवस गयेव बुड
मामा घर मोरो मन पयलेच गयेव उड
मज्या सब करबिन शाळा को उतरेव भूत!!६!!

सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा

 अगिनगाड़ी
                  द्वादशाक्षरी

धड़ाड़ धड़ाड़ झुक झुक झुक
सिटी बज गयी कुक कुक कुक ॥१॥
आयी ठेसन पर अगिनगाडी 
मामाको गाव जाबी सावंतवाडी ॥२॥
टिकट निकाल्या ऑनलाइन की
शयनयान सिट आरक्षण की ॥३॥
सिटी बजी निकली अगिनगाडी
होदक ठेसन गयेव पिछाडी ॥४॥
सुपरफास्ट आमरी रेलगाडी 
विठ्ठलवाडी लक सावंतवाडी ॥५॥
मोटरमेन इंजिन का चालक
टी.सी. बोगीका नियंत्रक वाहक ॥६॥
रेल की पटरी चली समांतर
धावं सौ चाका की गाडी सरसर ॥७॥
कभी गाव कभी खेत जंगलमा 
बोगदामा कभी नदी बगलमा ॥८॥
नदी पूल पर खळाळ खट्टक 
शहरमा की सब बंद फाटक ॥९॥
मंघ्ं परा सेत हूळकी पहाड़ी
गाव शहर अना जंगल झाड़ी ॥१०॥
जुनो जमानोमा कोरसा इंजीन
मंग डिजलल्ं चली काही दिन ॥११॥
आता बिजली पर लोकल फास्ट
बुलेट मैट्रो मोनो सुपर फास्ट ॥१२॥
राजधानी एक्सप्रेस मेमू मेल
स्माल ब्रॉड गेज़ बिजलीकी रेल ॥१३॥
दिन बुडेव पर रात को बेरा 
डिनर लेनला बर्थ पर घेरा ॥१४॥
सोया बर्थ पर लगायके डेरा
मामाको गावमा भयेव सबेरा ॥१५॥
जसो आमी पोहच्या सावंतवाडी
लेन आयेव मामा उत-या गाडी ॥१६॥

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७
         रेलगाडी

झुक झुक झुक झुक रेलगाडी
डब्बाच डब्बा लंबी सें बडी
तिकीट घर मा तिकीट काढबिन ना
गाडीपर बसस्यान देखबिन ना ll धृ ll

इंजिन चलंसें कोयला पर 
चालक गाडी को ड्रायव्हर
इंजिनपर चंदेरी सूर्यको चित्र सें ना ll1ll

कारो ढगवानी पसरेव धूर
शिट्टी को रूपं मा बजंसे सूर
झाड सुरसुर उलटा परासेत ना ll2ll

मंगं पड्या स्टेशन गाव
गाडी को वेग भरधाव
हिरवी झंडी गार्ड देसें ना ll3ll

गाडी धावंसें रुळपर
थांबा लेसे स्टेशनपर
हमाल सामान डुहरं सेत ना ll4ll

गाडीमा गर्दी भेटं नही सीट
दस बरसाको मी अर्धी तिकीट
टिटीया नही मांगण को जुर्माना ll5ll

गाडी एक्स्प्रेस या लोकल
सस्तो मजेदार सफर अनमोल
जंजीर खिचेपर गाडी थांबं सें ना ll6ll

                         शारदा चौधरी
                             भंडारा


      रेल गाड़ी

झुक झुक करत आयी गाड़ी,
सुंदर आमरी प्यारी रेल गाड़ी ll

लंबी दूर जाये आमरी गाड़ी,
सबला लीजाये आमरी गाड़ी ll

ठेसन पर जब आये रेल गाड़ी,
दूर लक आगाज देये गाड़ी ll

सब फाटक बंद होय जाये,
रेल गाड़ी जब आमरी जाये ll

हिवरी झंडी जब गार्ड देखाये,
समझ लेवो गाड़ी आमरी जाये ll

टिकिट वालो जब जवर आये,
सब आपरी तिकीट देखाये ll

जो कोनी तिकीट नही देखाये,
दंड वोला पैसा भरण को देये ll

मनमा बहुत ख़ुशी तब आये,
जब गाड़ी टाइम पर आये ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे 
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

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