बाभुर
उपेक्षित जीवन बाभुर को
तरी भी जगसे शान लक
हजारों काटा सज्या तनपर
उभो से बड़ो सम्मान लक
बारीक बारीक पाना मुंगोनी
हिरवो शालू जसो तन पर
स्वर्ण कंचा सा सुमन खिल्या
पान पान डाली डाली उपर
लौंग लतिका सी तोरण लगी
गोल गोल बिजा की फल्ली
झूम झूम कर इठलाय रही से
हवाको झोका संग गल्ली गल्ली
नहीं मांग पानी को कोनिला
तरि बी उभो खट गगन मा
पानझड़ी मा बोड़खो उभो
लपटेव तन शेंग को शेलामा
दात मजबूती फल्ली को मंजन
ढिक गुणकारी लड्डू बनावन
वारे पर भी बहुत आवसे काम
खिड़की दरवाजा चुल्होमा लगावन
असो सुंदर उपेक्षित झाड़ बाभूर को
कठिन समयमा जगनो सिखावसे
जेतरा नाज़ुक फूल पाना येका
वोतरोच सुंदर जीवन दर्शन देखावसे
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सीहोरा
बाभूर
लंबी भुरी बाभूर सेंग
हवामा बजसे छन छन
बहतो हवा मा धावसे
मोरो चंचल मन
एक एक पान तोडकर
सजावू आपली खाट
आराम लका सोवू
निंद की देखुसू बाट
लहान लहान फूल
बांधेव आपली बेणी
डोक्सी को पतझड मा
बेणी पडी बौनी
बाभूर ढिक का
गोल गोल लाडू
दातखुडी बस गयी
करम कसा मांडू
बाभूर को झाड ला
चहूबाजू फाटा
मोरो पुरो जीवन को
बेरहम आटा
शेषराव येळेकर
दि १४/१२/२०
बाभुर का फूल
पिवरा पिवरा सोनोवानी
बाभुर का दुय सुमन,
जसा नभमा चांद सूरज,
धरतीपर कानका लटकन.
चिच क् पाना दून लहान
बारीक बारीक पाना,
गाव क् सेरी पाठरू इनको
बहुत मनपसंद खाना.
सुंदरता पर नोको जाव
जवर जानसाती संभलकर,
जल्दी बाजी मा आहो
हात पायाला काटा टोचकर.
बाभुर की लकडी आवसे
दात घासन क् काम,
दात बनसेती मजबुत
दातदुखी ल् मिलसे आराम.
बाभुर को लकडा बी
से बहुत चीज कामकी,
गाडो की तोंडी, पावटनी,
धीरा, बेलन बनावन की.
बाभुर की शेंग रव्हसेती
लंबी, लंबी ना पांढरी,
तोंड धोवन बनसे मंजन
काम आवसे रोज सकारी.
बाभुर को ढीक बी रव्हसे
खानो मा बहुत मजेदार,
वोकी गोंद बी बनसे
सब गोंददून जोरदार.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
बाभुर
गुणकारी वाकळी तिकळी बाभुर
बाई का सोचसेस उभी रह्यके
एक हात कळ्यापर ठेयके
अना एक डोस्कापर धरके
पिवरा पिवरा फुल तोरा
चोलसेत अनमोल सोनोवानी
जहा जागा भेटसे तोला
वहा उभी रव्हसेस हिरोइनवानी
गोलाकार लंबी शेंग तोरी
सुई दोरा वानी दिससे कानका
बारीक बारीक पाना तोरा
मंगलसुत्र दिससेत गरोका
सौभाग्यवती दिससेस साजरी
साजश्रूंगार सुंदर करस्यारी
बाट देखसेस वाकळी उभी रह्यके
आवनार से का बाई तोरो कारभारी?
टपोरा, पिवराधमक फुल तोरा
हवाको ताल परा डुलसेत
समाधानी दिससेस हमेशा तु
जबकी समाज तोरी उपेक्षा करसे
वर्षा पटले रहांगडाले
बाभूळ
गाव जवर गावखारी जवरचसे तराकी पाळ।
औन पारपरा सेती खुपसारा बाभूळका झाळ।।
उबळ खाबळ बुळ ना वाकळा तिकळा तना।
दुय फाट्या काटा ओला लाहानलाहान पाना।।
पाना मोठा कामका शेरी मनमानी खासेती।
बाभुळ क काळी लका मंजन भी करसेती।।
बाभुरला सेती सोनो सारखा पिवरा फुल।
गोलगोल दिससेती जसा कान का कर्नफुल।।
मंग लगी शेंग झाळपरा दिससेती खुप छान।
जसा बाभुळक झाळला फ-या शेरीका कान।।
बाभुळ की शेंगभी शेरी मोठ चावलक खासेती।
गुणी आरोग्यदायी ओको मंजन भी बनावसेती।।
बाभुळ को झाळ से मजबूत टिकाऊ इमारती।
बंडी नांगर,बखर ना दतार ओकीच बनावसेती।।
संसार मा रवसेती सुखदुख का काटा ना फुल ।
बाभुळ झाळको अनुसरण करो दुख जावो भुल।।
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
बाभूर
खेतमा सें उभो झुकेव बाभुर को झाड
कारो कारो बुड ना ढलपी जाड जाड
अस्सल सें लाकूड मजबूत सें गाठ
ताठर सें कणा ना मजबूत सें पाठ
कोवरा लुसलुसा बारीक हिरवा पाना
काटा सेत डारभर जसा रक्षक बन्या
सोनो सा पिवराधम नाजूक सुंदर फुल
खेल-खेल मा कानमा टाकं सेजं डुल
लगी सेत शेंग गोलाकार लंबी लटलटी
टाकं सेज पायमा जसी चांदीकी पायरपट्टी
शेंग लिजासेजन घरं दातून बनावंनला
दात होसेत बडा मजबूत ना चमकीला
बाभुर को ढिक खानो मा सें चवदार
लाडू बनावंसें माय गुणी ना दमदार
बाभुर पान खासेत जिराफ उंट शेरी
डगाली की बनंसेत कुपाटी ना डेरी
बाभुर को झाड की सेंत जलाऊ लकडी
दरवाजा खिडकी को काम की सेत बडी
उभो सें शान लक झाड छाया देसे थंडगार
माखिसे पिवरो उटनो लक पदर हिरवोगार
शारदा चौधरी
भंडारा
बाबुर
डोकरा बाबा गयो लोटा धरके जुगाड़ मा,
वोको पंचा फस गयो बाबुर को झाड़ मा.
स्कूल का टुरु हिनन खूब मजा लियिन,
लुकाय स्यार झाड़-झडूला की आड़ मा.
चना चोरन गयिन महाजन को खेत मा,
इंधारो मा खूब चलिन खवलायी रेत मा.
झोपड़ी मा कोण्ही खोखलयो त भगिन,
फस गइन बाबुर को कांटा की बाड़ मा.
गणित को मास्टर बड़ो मारखुंडा होतो,
वोको जोर लाइन खीचन को डंडा होतो.
टुरु गुस्तखी हेड़न साती बाबुर का कांटा,
बिछाइन मास्टर को आवन की रोड़ मा.
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)
पतंगको गोंद
कारी करडी येकी सालं
बारीक बारीक पाना छान
लंबालंबा काटा टोकदार
पिवरा फुल हे शानदार।।
कमी पाणी तरी तो जगसे
तपनमा हिरवो दिससे
सुंदर सेंग झुलसेती
दंत मंथन करसेती।।
बाबुर पाना शेरीसाठी
खोड़ घरं खिडकीसाठी
बारीक काडी चुलोसाठी
डिंक गोंद पतंगसाठी।।
असो झाड उपयोगीसे
सबको काम योवआवसे
खेतमा योव झाड दिसले
काटाला देखके घबरासे।।
जय राजा भोज, जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया
बाबुर
खेत ,शिवार,जंगल, झाडी,
बाबुर की भी रवसे बाडी।।
चिखल मा कमल, काटा मा गुलाब,
आंबा को अमराई मा, बाबुर मोठो खराब।।
बाबुर को फुल को, कलर पिवरो,
कारो बुड, हर पत्ता हिवरो।।
मोती को माला जसी, लोंबसे सेंग,
बिया बारात मा, नहीं रव नेंग।।
शेरी पाठरू को,पोट को चारो,
काम को से बहुत पर, आंगन मा नको गाड़ो।।
सौ. लता पटले
दिघोरी, नागपुर
दाता बाभुर बाबा
किसान को अस्त्र शस्त्र को दाता
कारो कारो मजबूत बाभुर बाबा
गोल गोल चाक भिर भिर फिर
जलदी जल दि ले जाये मामा को गाव.
धरती को शीना चर चर चिर
असो किसान को नांगर बन
धरती को शीना सर सर सपाट कर.
अशी किसान की दातर बन.
धरती पर लक कच कच कचरा साफ कर.
अशो किसान को बखर बन.
सब बीज ला एक लाईन मा पेर
अशी किसान की हरी(तिफन) बन
चंद्रशेखर शरणागत
दि. १४.१२.२०२०
बाभुर
('सुनीत' काव्यप्रकार)
जेन्ं झाड़को ढिक साती बचपनमा फि-या रान
उद्गारवाची गिडरीवानी बोटभर काटा को बाभूर
आबंभी उभो से भक्कम कारोकुट्ट तानके धाकड़ी ऊर
कानामात्रा वानी सेंगं सोनोका फुल अना चनाका पान
लाल लोखंडी गार इंधन इमारत औजारको कामी
खर कोरसा काटीकी बेई घनी सावली नक्षी
पंचांगको उत्तम खत बयाको खोपा कठफोड्या साक्षी
मकरंदको भंडार पान सेंग ढोरको चारो नामी
छाल पान सेंगकी फकी काडीको कुची लक मंजन
ढिकका लाड़ू फकी साखरमा पंचांग काढा देसे उर्जा
किटनाशक शर्तिया मसूढ़ा छाला को दर्द भंजन
करे दिगरला जवाँ मिटाये दस्त घाव खुदको न्यून दर्जा
वोको जीवन काटेरी तिरस्कृत फिर भी महादानी
असो जीवनदायी वृक्षोत्तम बाभूरको नही सानी
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
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