Tuesday, January 26, 2021

आंबा की अमराई 22


 अमराई
राखन कर फुफ़ाबाई।
गावखारी मा टोली रंगी
सब जमा भया मोरा संगी।
लकड़ी झोड़पा संग गोटा
लगावत नेम साजरो बटा।
गन्या को डाव बड़ो नेम को
आम्बा का झोंका डोलनको।
काकाजी की आवाज गजब की
आमरी सूट धाव खरयांन की।
लँगड्या आंबा की शौक अधूरी
बचपन की कहानी से सुनहरी।
बालपण को प्यार अमराई की जबानी
हर एक कि कहानी बड़ी सुहानी।
घोटी आंबा की मोठी बरसात
खूड़ी मा बटा झोंका नोहता मावत।
रायतो को आंबा ना का सांगू मोरो गाणा
पन्द्रह रुपया सैकड़ा ना पिकन को ग्रहाणां।
तपन की तपिश मा अमराई की दबिश
हिरवो गार हवा की बहार भोलो मन की आस।
बालपन होतो महान
याद आओ से छान




           आमरी अमराइ
       
चल गा भाऊ नरेश आता अमरइ जावबिन 
धर सकोटि आता कच्चो आम्बा  आनबिन 
नहान नहान सेती इत साजरो खट्टो आम्बा 
जरासो तोड़बीन बाकी पिकनला राखबिन 

बनावबिन चटनी अना मिट्ठो तीखो गोड़साग
पनाह बनावबिन अना मिटावबिन धुप  ताप 
आमरो अजी को हाथ  का सेती  सब झाड़ 
पिकोसेत आम्बा तबा सबला देसेजन धाड़

लगत आम्बा फरी सेती जी भाऊ इन साल
पीकोसेत त चोवोसेत हिवरो पिवरो  लाल
गर्मी को दिवस की  देखोसेजन आमी बाट
आम्बाचोर परासेत मिलसे अजी को आहट 

केतरी साजरी अना मनमोहक से या अमरई 
देसे सबला मीठो आम्बा अना ठंडी सावली 
खेलन कूदन की से इता कन बातच नीराली 
खेलता खावता लगोसे सबला प्यारी अमरई 

ऋषि बिसेन 
खामघाट(बालाघाट)

आंबा
 एक पर एक झोका पर झोका
आंबा लटक्या सेत बाका

 हरा हरा गोल लंबोटा
थोडा मिठा जरा खट्टा

देखता आंबा लार टपके
अंबराई मा घुसू लुपके छूपके

तिखट मीठ की बनायकन बुकणी
बडी मिठी आंबा की चटणी

अंबराई का आंबा खानो मा मज्जा
कडकडती तपन को प्यारो खाजा

कोयार पादरी चिप वालो आंबा
हे देवा कैरी तोडण बनाव लंबा

शेषराव येळेकर

आंबा की अमराई
याद आयी बचपण की|
बचपन की मस्ती 
 बहुत होती शरार् ती
चोर - चोर कर
आंबा  खान की लत
 होती बहुत शैतानी
 बचपन की सैतानी मा
 काही समज नव्हती
 पण आता समज आय
रही से|
एक जोळपा मारू त
एक सिंगल आंबा कायला
खाली पड!
गुचा मा का आंबा कभी
खाली नहीं पड्या!
गूचा मा रहो त मजबूत रहो
एकटा रहयात त
आंबा सारखा खाली पडो!
खाली पड या आंबा मी
घर आणू!
 मोरी आजी माय ओ की
मस्त मस्त चटणी कर|
 मस्त से छाया बाई की
आंबा की अम् राई!
सिखाय साय र जायेत
आंबा का गु चा!
 काहण भी रहो
 समूह,संघटन मा
 रहो|
 🖋️ Chandrkumar sharnagat
Hero Moto corp Gurgaon
(हिरो होंडा)




लटालोम आंबा

अमरो आंगन मा से एक झाड,
करसेजन सब वोको बहुत लाड़ll

सावली देसे आमाल ठंडी गार,
बार आयी से अउंदा भरमार ll

लगी झोका की तोरण जसो,
स्वाद से येको खोबरा जसो ll

जरासो तीखो अना नोन मिलावो,
बारीक बारीक फोड़ी बनावो ll

आता आंबा को मज्या लेवो,
जरासी भेली मिलाय देवो ll

रायतो अना आमटी बनावो,
माच का आंबा सबजन खावो ll

रस रोटी संग सेवई बनावो आता,
घिवारी को पाहूंच्यार देवो आता ll

डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

                      आंबा
                      
आंबा की आमराई  फरीसे बाका
सबआंग लगगयाआंबाका झोका
एक झोकाला आंबा सेती नवदस
देख शानी मन  ललचासे  बरबस

मोठोजात बुऴ ना लंबालंबा खांदा
उनक आऴपमा लपायजासे चांदा
लटालट  पाना ना  मोठोजात बार
ओक ओझो लका बग गयी  डार

आंबा संग नोन तिखो की चटनी
लगसे सुरस जिभ ला देसे पटनी
आंबाको झाऴ सावलीको अंबार
ओकखाल्‌या उभो  लगे थंडोगार

आंबाकी आंबटी ना रायतो बनाओ
भुजकर आंबा ना पम्‌हो भी खाओ 
आंबाकी लकऴी चुलोमा लगाओ
या सुख शांती साठी हवन कराओ

आंबाक पानाकी तोरन बानायलेव
धर क दरवाजाकी शोभा बऴायलेव
आंबा को  झाऴ   केतरो से  महान 
कसेत फलको राजा करसेती गुणगान
               
डी पी राहांगडाले 
   गोंदिया


याद मोला आवसे

याद मोला आवसे, आंबा की अमराई।
लहानपण की रानू, बबल्या अना ताई ॥1॥
माय संग आमी, मामा गावं जाजन।
टुरु पोटु संग, कच्चा आंबा खाजन ॥2॥
दुपार को तपन मा, झोळपा आमी मारजन।
कभी कभी गोटालक, आंबा आमी पाळजन ॥3॥
दिवसभर झाळ खाल्या, सावली मा खेलजन।
जमा करशान आंबा, बराबरीमा बाटजन ॥4॥
कभी कभी राखणदार, आमला जब पकळं।
उठक बैठक करशान, कान आमरा जकळं ॥5॥
आमला घबराया देख, दया ओला आवं। 
माफ करशान कवं, घर आता जावं ॥6॥
मामी घर आंबाकी, बनावं आमटी मस्तं ।
राती सब मिळशान, करत आमटी फस्तं ॥7॥

- इंजि. गोवर्धन बिसेन, बडेगांव (गोंदिया)



               अमराई
(चाल: लकड़ी की काठी काठी का घोड़ा...)

ढोढी को किनारे, फैली अमराई
लटालोंब आंबा की का सांगू नवलाई
आयी आयी आयी घात आंबा खानकी आयी 
लालालाला लालाला, लालालाला लालाला ॥धृ॥

घोटी शेंदरी गू-या, तेल्या रायत्या खोब-या
गोल्या किटलाई केरीका झोकळा लटु-या
लट्टक लट्टक लट्टक लट्टक
आयी आयी आयी बालगोपालकी कलपी आयी ॥१॥

नोन हिरोती बुकनी, पुळकी भरके चटनी
कड़म कुड़म करत फोड़ी तोंडमा पटकनी
कड़म कुड़म कड़म कुड़म 
इरभर अमराईमा महातनीबेरा आयी ॥२॥

कच्चो खावो खाटो, माच चुसो मिठो
बजारमा कसोभी बिको रग्गड़ पैसा पिटो 
रग्गड़ रग्गड़ रग्गड़ रग्गड़
पाहुणाको पाहुणचार रसकी सरबराई ॥३॥

आंबा फलको राजा, रानमा अगाजा
चैतमा कोयल की कूक करंसे गाजाबाजा
कुहू कुहू कुहू कुहू
चिप अना पाड़ खानको मयना आयेव मई ॥४॥

आमचूर आंबेवड़ी, चटणी गोड़कढ़ी
मुरांबा खटाई पन्हा रायतो की सुरपड़ी 
सुर्रूप सुर्रूप सुर्रूप सुर्रूप
आमरस को संग खावो घिवारी सेवई ॥५॥

संकरित रसिला, कड्डा नरम ढिला
सबला भावत हर जातीका आंबा रंगरंगिला
चप्पक चप्पक चप्पक चप्पक
आंबाको नावलका सबको तोंडमा लार आयी ॥६॥

आंबा आयेव पाड़, पिक्या झाड़न झाड़
माच चुसो घोय वापी आयेव लाख्तखाड़
चुस्सूक चुस्सूक चुस्सूक चुस्सूक
फोलका ला फेको नोको खासेत भसी गाई ॥७॥

डॉ. प्रल्हाद र. हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

              आंबा

बसंत बहार लक अमराई बहर गयी
आंबा की घात आई चलो संगी भाई

दुपारी तिपारी सब जन जाबं
संगमा दुयचार झोडपा बी धरबं
लट्टालोम्ब फरी सें सारी अमराई
आंबाराख्या रहे देखो करो नोको घाई

आंबा को झाड काळपट जाडसर
लंबूटा सेत पान हिरवट लालसर
झडेव बार हिवरी कैरी लग गयी
आंबाको झोकामा मिठी कोयार से लपाई

आंबा देखके तोंडला सुटेव पाणी
तोंडला लगावन तिखट मीठकी चटणी
आंबा धर झोरामा रायतो खुलं बनाये आई
चुरपकर खाबं आमटी वाढे मायबाई

पारा बांधिस आंबा नं कर मांगबं पना
बटकीभर रस पिवबं सेंवई टाकस्याना
हवा धुंदाडलक पडया आंबा बेचो सप्पाई
पिकेव पाड चोखन की मज्जाच औरकाही

आंबा को पान आड कोयल गावं सें
आंबा फल को राजा आय गुरूजी कवं
आंबावानी गोड रवबं सब संगीभाई
आता या एकजूट कभी तुटनकी नही


                                       शारदा चौधरी
                                      भंडारा


आंबा

बोळी को पार परकी आंबीन
तरा को पार परका काऱ्या भुऱ्या
झोळपा मार मार के आंबा पाळ
आमरो गाव खाती को टुरा भुऱ्या

कन्हारपरको बाघ्या आंबा
ढोढी वाली को कसलाया आंबा
सरसर चगके आंबा उतराव
सोनार की टुरी कारी रंभा

गीम को दिवस मा आव बडी मज्या
सीतोनी,झोऱ्या,बोरी,बासोळा
चीला पीला जाजन बाबुजी संग
अचार अना माच को आंबाको बचावन नासोळा

पोटखोली,देवखोली,अना पाटनपरका ढोला
आंबा को माच टाकत होता
घरभरका लेकरु सप्पाई
आंबाइनपराच रव्हत होता

आब फक्त यादच रह्य गयी
बीत्या दिवस वापस आवत नही
केतरा साल भय गया तरीबी
मी मामा को गावच नही गयी

✍सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

Tuesday, January 19, 2021

फिपोली,तितली, फुलपाखरू 21

पोवारी उत्कर्ष समूह द्वारा आयोजित 
बालकविता स्पर्धा २१
आयोजक: सौ छाया सुरेंद्र पारधी

तितली

टिनू मिनू एकगन् गया बगिचा मां
देखस्यान् दृश्य खूश भया मनमां

अलग अलग रंग का फुल न्यारा
बसत होता पाखरू वु फुलपरा

हिरवा हिरवा होता वंज्या नजराणा
टिनू मिनू को बी खुश होतो बाणा

टिनू भाऊ कवन् बसेव तितली ला
चलसेस का आमरो संग रवनला

तितली कसे कसी देखो मानवजाती
तुमरो संग बनृ जावू मी फक्त पोटसाती

फुलमाको लेसू मी केवल थोडसो रस
तुमी त् चुस लेसेव पुरो सोमरस

रहु तुमरो संग त् बन जावू मी लालची
रवन देवो अलगच नही सेव् मी आलसी

रंगबेरंगी फुल अना फुलपाखरू 
देय् गया सिख जसा कल्पतरू

शाश्वत उत्तर तितली की ठेवबी स्मरण
निर्मल जीवन सिद्ध होये याच अवतरण

रणदीप बिसने

         तितली
    चित्रकाव्य (बाबुल का ए घर बहना)
              
तितली बाई  तितली बाई  नोकों  करु  घाई 
आमी आया खेलनला आमर संग खेल बाई//धृ //

मोनु ना सोनु आया बाई तोरसंग खेलनला
आमर संग खेलो बाई  खुशी  होय सबला 
एनओन झाऴपरा परानकी नोको करो घाई //१//

पंख तुमरा  बाई सेती लाल हिरवा ना पिवरा
लगसेती केतरा सुंदर जसा आकाश का तारा
चन्द्रमा चकोर ज़सी लगी ओकी तुमी बहनाई//२//

सोनु मोनु धावन बस्या तीतली धरनसाती 
बगीचा भर फि-या तीतली नही लगी हाती 
हासन लगी तितली बाई उळानकी मजा आयी//३//

तितली बोलन बसी तुमरी बेकार मानव जाती
एकमेक का पाय खिचो दिससेव मोठा घाती
कब का कर डाको तुमी तुमरो भरोसो नही  //४//

एनओन फुलपरा ऊऴनकी मजा आवसे न्यारी 
लेसेजन फुलको रस आमी नही करजन मुजोरी
एकमाच  खेलसेजन आमरो मनमुटाव नही  //५//

सब या मानव जाती रहो तुमी हिलमिलकर
खुशी होय सबला होय सुखी तुमरो संसार
कसी रव्हसेती तीतली गुण उनका धरो काही //६//
                          
डी पी राहांगडाले 
      गोंदिया

चमत्कार

लहान टुरा पुरी बगिचामा आय
सुंदर तितली देखशान खुश भया।।

फुल रंगिबेरंगी हवालं झुल
धरन जाण तितली त वा उड़।।

उडता उडता पंख हलाव छान
देखं इतन उतन फिरावं मान।।

निसर्गमा देखो नवा चमत्कार
लहान लहान तितली की भरमार।।

तितली तितली खेलं मोरं संग
 रव्हता पंख त उड़ती तोरं संग।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

भाई बहिण
       
बगीचा मा फिरन गया भाई बहिण, 
देख सेती वहॉ से का काही नविन. 
सुंदर सुंदर फूल फुल्या सेती वहॉ, 
हिरवो गालिचा बी बिछेव से वहॉ. 

उडाय रही से वहॉ पिवरी फिफोली, 
भाई बहिणला ललचावसे करसे ठिठोली. 

जवर आवसे पर हात मा नही आव, 
परेशान सेती दुही जन देखके वोको भाव. 

गुलमोहर को झाड से महेंदी को कुंपण, 
भाई बहिणला पसंद से निलो निलो गगन. 

बगीचा मा फिरकर दुही बहुत खुश भया, 
मस्त खेलकर वोय घर वापस आया. 

                      - चिरंजीव बिसेन
                                   गोंदिया

               फिपोली
(चाल: सई माया सजनीले...)

रंगीबिरंगी फिपोली से
नट्टा पट्टा मखमली से
फुल सरिखी कोमल कोमल 
पंखलका चमकिली से ॥१॥

स्वर्ग की अप्सरा
इतरा से कर नखरा
आंग भी कोमल नरम नरम 
जसी बोर मा की इल्ली से ॥२॥

रूपमा अजिंठा लेणी
डोई पर दूय बेनी
इठलासे मस्तीमा डुबी 
सुंदर छैल छबिली से ॥३॥

झाळ फुल पर सदा बसं
मिठो मिठो रस चुस्ं
लाड़ चुंबन लेय लेव असी
नन्ही सी छकुली से ॥४॥

डोरा चंचल सितारा
पंखइन को पसारा
जहां जाये वहां धाऊ मंघ्ं मंघ्ं
जादूगरनी हठीली से ॥५॥

बादरमा उड़ जासे
हिरदामा भीड़ जासे
धरनला जासू हात नही आवं
'हसीना' या मतवाली से ॥६॥

हमेशा उड़ान लगाव्ं से
कोनको मंघ्ं या धावं से
पान फुल पर कबं बस जाये
जसी नटखट नार नवेली से ॥७॥

हर दिल येको दिवाना
दिवो की या परवाना
इद्रधनुष सी फिपोली देखके
दुनिया सारी भुली से ॥८॥

हवामा गोता लगाव्ं से
हरीयाली वोला भावं से
नहान मोठा सबकी पसंद या
रंगबिरंगी तितली से ॥९॥
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

   बगीचा

      बगीचा मा रव्हसे पक्षि इन को घर,
   उनको बिना नही लग बगीचा सुंदर।

       लहान मोठा अनेकों झाड़ सेती यहाँ,
     झाड पर कावरा-सिमनी होसेती जमा।

       रंगबिरंगा फूल लक बगीचा महकसे,
 तितली रानी यहाँ आपलो परिवार संग रव्हसे।

    लहान-मोठा टुरु यहाँ आवसेत खेलनला ,
      बहुतसा झूला सेत उनला झुलनला।

      पक्षी की चिवचिवाहट लग से जबरदस्त,
    यहाँ आयकर मन सबको होय जासे मस्त।

       मन कव्हसे चल बच्चा बन जाबी,
       सब संग बगीचा मा धूम मचावबी ।

    स्वाती कटरे तुरकर

 फुलपाखरू

फुलपाखरू बगीचामा झुलंसेस झुला
रंगबिरंगी सुरेख रंग कोण देईस तोला

कभी गवत कभी फुलपर मंडरासेस
मधु रसपान करके गुणगुण करसेस
धुरळ लगंसे हातमा स्पर्श करेपर पंखला

मोहीत भयेव मन देखके तोरो रूप मनोहर
लगंसे देखके सूंदर रंग टीप लेवू भरभर
येनं बात पर हामी नही भरनकोस मोला

बारीकबारीक डोरा तोरा करंसेत लुकलूक
पंखपर गोल नक्षी सुरेख शोभंसें नाजूक
जीवन सें तोरो बडो स्वच्छंदी रंगीला

नजर मोरी ठहर जासे मखमली पंखपर
निळा जांभळा वस्त्र टाकंसें भ्रमण पानपर
केतरी कोशीश करुसू मी धरनकी तोला

रेशमी मलमल सी तोरी सें कांती
खुलं सें रंग तोरो इंद्रधनुष्य को भांती 
भिरभिरके धूम मचाय देसेस जीवला

खेलबन का चल लपाछपी आपण
रंगबं खेलमा मस्त गुंग होयके दुहीजण
जीवन जगन की सांग मोला तू कला

                                   शारदा चौधरी
                                       भंडारा


         तितली रानी


प्यारी न्यारी तितली रानी से बड़ी सयानी !
मोरी सयानी माय सान्गसे येकी कहानी !!

भई शकार बेरा से जावन को आता बाग !
छोड़ो खाट सब आता चल जाओ जाग !!

चल गा छोटी नहानसी पप्पी अना गुढ्या !
हाकल त कित कन से आमरो मोठो बड्या !!

केतरी साजरी न्यारी से प्यारी तितली रानी !
देसे ख़ुशी सदा या कसे मोरी माय सयानी !!

सबउजा फूल मा बसीसेत प्यारी तितली !
दिवस को उजाड़ो मा सोईसेत सब गीद्ली !!

आनबिन आमी माय लाइ पुजा का फूल !
होयजाय पुरो जब हमरो खेल झूला झुल!!

धरती माय की येव बगिया खूब से सजी !
पढ़न को भयी बेरा हाकल रही सेत अजी !!

जाय रही सेजन घरह प्यारी  तितली रानी !
शकारी आयकर अखिन खेलबीन मनमानी !!

ऋषि बिसेन 
ग्राम : खामघाट(बालाघाट)

 तितली

 रंगबी रंग का  फुल खिलया 
 सेती यण बागिया मा|
 लाल, हिरवो,अन् गुलाबी
पिवळ, जांबडो,अन् नारंगी|
सुंदर मन मोहक से नजारा
जसो बचपन से सब लो प्यारा|
मधुर गीत गाव से ती
सखा अन् सखी|
नाय उनला कोंसो दुनिया को भेव
मस्त उड  सेती फुल - पाखरू सारखं|
जीवन से उन को फुल पाखरूसारखो|
कभी येणं बगिया मा, 
त कभी ओन बागिय मा|
 महणुंच कसे ती, बाल पण देगा|
 देवा ज सो मुंगी साखर, रवा|
 Chandrkumar sharnagat
 Hero Moto corp Gurgaon
(हिरो होंडा)


फीफोली

फीफोली बाई सांग भला
कायला सेस तु उदास
सांग आमला सांग आमला
तोला कायको से तरास

रंगबिरंगी पंख देख
लगसे सेस रंग की धनी
तोरो रंगला नोखके
नाव ठेईन का कोनी

सुंदर सुंदर फुलपरा बसके
करसेस तु रसपान
तरीबी उदासी भरेव
करसेस कायला गाण

भोवरानं गुणगुणायके
तोला सेस का चिडाईस?
का आमरो सारखो लेकरून
तोला सेस का बिचकाईस?

बगिचा खील गईसे
रंगरंगको फुलइनलका
तरी बी तोरा डोरा मंग
कायला भऱ्या सेत आसुलका

फीफोली बाई काजक से
सांग तोरो जीवला तरास
का अखीन लगावनो पडे
नवीन फुलकी आरास?

दुय दिवस को जीवन बाई
सुख दुःख से घटकाभरको
हासत खेलत रव्हबीन मस्त
बाकी काही टेन्शन नही लेनको

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
मु. बिरसी ता.आमगांव
जि. गोंदिया

Tuesday, January 12, 2021

चॉकलेट को बंगला 19


          चॉकलेट को बंगला

सीता कुंदा कमला सुनिता अना मंगला
आवो चलो बनावबीन चॉकलेट को बंगला ॥धृ॥

कॅडबरी की छत छप्पर 
किटकॅट की दिवार
मंच का उभा मुंडा
लॅक्टो किंगको द्वार
हर्सी सिरप शोभे फाटकको रंगला ॥१॥

कॉफ़ी बाईट की खिडकी
पारले किसमी को छज्जा
कँडी बार की पाटण
क्रंची शॉट की मज्जा
सिल्क ओरियो लका सजावबी पलंगला ॥२॥

पिपरमेंट को पिंजरा
हिरवी कँडी को राघू
दुय मजली बांधनला
मी तासनतास जागू
पल्स की मैना ठेऊ राघूको संगला ॥३॥

अल्पेनलिबे पोर्च मा
लॉलीपॉप को झुला
पॉपिन्स को बगिचा
ऑरेंज मँगो गुल्ला गुल्ला
चॉकलेट को केक जन्मदिनको प्रसंगला ॥४॥

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७
   चॉकलेट को बंगला

गल्ला मा संगराई सेव पैसा चिल्लर
चॉकलेट लेयकर बंगला बांधून सुंदर

बंगला ला कवाड पर्क मंच को
अंदर बहार आवंन जान को
नक्षीकाम रेखीव दिसे कोरकर

दरवाजापर संत्रा गोली की कमान
सुबक मनोहर दिसें शोभस्यांन
चौकटपर लोम्बती तोरण की झालर

खिडकी रहे इकलेअर की चौकोन
मोबाईल की बजे हमेशा मधुर रिंगटोन
सजावट को काम आयेती चॉकलेट रॅपर

आंगणमा उभा कच्चा मँगो का झाड
पिपरमेन्ट का फलेती फल रसाळ
बगीचा रंगबिरंगी दिसे फुलकर

बंगलापर चमकेती चंदेरी सितारा
पानी सुटे तोंडला कोन देखकरा
उनको पर रहे मोरी हरदम नजर

कॅटबरी को गच्ची पर सुंदर नजारा
देखून मी वहा लक चंद्र अन तारा
डेअरी मिल्कका लाईट उठेत पेटकर

संगीसाथी खेलबन बंगलामा लपाछुपी
मेजवानी खाबीन किसमी अना टाफी
मज्जा करबं आम्ही खेल खेलकर


                                     शारदा चौधरी
                                        भंडारा

ससा ससोबा 20


ससा

_ससा रे ससा दिस् सेस कसो_
_मानव जाती मा पोवार जसो।।१।।_

_तोरा सुपळो सारखा मोठा कान_
_जसो पोवारइनला समाजमा मान।।२।।_

_तोरा पांढरा शुभ्र कापूस जसा केस_
_जसो पोवार लोकईनको साधो भेस।।३।।_

_इवलो सो तू पर तेज तोरी चाल_
_पोवाराईनकी जसी दिनचर्या कमाल।।४।।_

_लानसुला लाल-लाल तीक्ष्ण तोरा डोरा_
_जसा तोरोमा पोवार का गुण भऱ्या सेत पुरा।।५।।_

महेंद्र रहांगडाले मच्छेरा

             ससा  (चाल-गोरी गोरी पान)
             
लाललाल डोरा जेका,लंबालंबा कान 
भाऊ घर एक ससा त आण // धृ //

आखूड आखूड च्यार पाय, लहानसी पुष्टी
दुय पायपर उभो ज़सो सांगन बसेव गोष्टी 
ईतऊत टकमक देख फिरावसे मान//1//

पांढरा पांढरा केस ओका कापुसच दिस
मुलाम मुलाम केस  जसो गालीचा भास
लालसर डोरा ओका दिससेती छान //2//

जंगल,झाळी,झुळुपमा ओको बसेरा 
धरनसाठी फासा लगे रस्तारस्ता परा 
चारही आंग ससा को रव्हसे ध्यान  //3//

कोवरो कोवरो गवत कुतुरकुतुर खासे
दुय पायपर उभो ना टुकुर टुकुर देखसे 
हरदम ससा सदा रव्हसे सावधान //४//

केतरो सुंदर गुलुगुलु लहानसो जिव
ओकमा भी आत्मा से जीव ना शिव 
त्रास नोको देवो ओला करो गुणगान //५//
                    
डी पी राहांगडाले
     गोंदिया



    ससा


एक पुसटी हलसे छान
लहान ससा आखुड़ मान।।

दुय घोडावानी मस्त कान
बससे कसो करके कमान।।

तिनं  टुमुक उड़ी मारसे
गवत पाना मुलुमुलू खासे।।

चार पाय धुमच परासे
लहान रानी मग धावसे।।

शर्यत मा कासू जिकसे
पांढरो ससा रस्तामा सोवसे।।

 मिशी हलसे खासे मुलूमुलू
खुश दिससे मस्त गोलुगोलू।।

जय राजा भोज 'जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया

ससा

लाल लाल डोळा
उभा तजेल कान
चतुर बाज ससा
फिरवत रवसे मान

सफेद पिंजेव कापूस
तसा मुलायम बाल
टुणूक टुणूक उडी मारे
स्वछंदी मोहक चाल

मुलूमुलू खाये गवत पाला
तिक्ष्ण सफेद दुय दात
लाल टपोरा डोरालक
देखे दिवस अना रात

माती अंदर बिल मा
ससा को सुंदर घर
सस्तन माता बच्चांको
सांभाळ करे सुंदर

हर महिना मा माता
ससिण ममता की मुरत
एक पासून बारा ला ममता दे
योवढो महान कुदरत 

कान मा से बलवान
मान लका कमजोर
आंग चोर ससा
मंग को पाय को मुजोर

सुंदर मोहक ससा
निसर्ग को वरदान
जंगल मा येका नखरा
जंगल की बडावसेत शान 

शेषराव येळेकर
दि.११/०१/२१



       विचार विमर्श
         

दुय ससा मिलकर करसेत बिचार, 
आमरा पूर्वज होता पूरा गॅवार. 

शर्यत लगाईन कासव संग, 
शर्यत मा रह्य गया मंघ. 

एकत् शर्यत लगावन को नोहोतो, 
लगाईन त् लगाईन हारन् को नोहोतो. 

असा आलसी पूर्वज नही पाहिजे, 
आपलो नाव उचो करनेवाला पाहिजे. 

ससा इनकी इज्जत पूरी डुबाय देईन, 
तोंड देखावन ला जागा नही ठेईन. 
आदमी बी आमर् मंघ पड गई से, 
वोला सीधो साधो ससाच दिससे. 

कोल्ह्या कुत्रा की काहे नही बनावत कहानी, 
उनला ससाच काहे दिससे जानी. 


                       चिरंजीव बिसेन
                                  गोंदिया


ससा

कापुस जसो म‌ऊ मऊ, लाल डोरा वालों ,
दिससे केतरो सुंदर,येको रूप निरालो।।

आखुड आखुड चार पाय,सुपडो सारखा सेती कान,
जंगल झाडी घर वोको,गाजर मुली खान पान।।

जंगल झाडी से, वोको ठीकान,
तरी लोक बांधसेती,वोको लाई घर मा मकान।।

टुनुकटुनुक, वु धावसे,
टुरुपोटुईनला,मजा आवसे।।

नही आव वु , कोनीको हातमा,
वोकी  धाव रवसे, बांदि अन खेतमा।।

हिवरो कोवरो ,गवत खासे,
मस्ती मा आपरी, पुछ हलावसे।।

जरासो आवाज लक, वु डरावसे,
उछल कुद ,वु मचावसे,

डोरा मा जसो, माणिक मोती समावसे,
वु प्रकृति की, शान बढ़ावसे।।

नहानसो से, वोको तोंड,
पहचानो सब ,यो आय कोन.....?
  ससा

        कु.कल्याणी पटले 
      दिघोरी,

ससा

ससा भाऊ बहुत हुशार
जवळ जावं त होसे पसार
झाडीझुडुप मा गवत खासे
जमीन को अंदर दर बनावसे

कापूस सारखो मऊमऊ
वोकी आई देसे गोड खाऊ
रातभर डोस्का पीटके सांगसे
असो सबला ससुल्या नोको भिऊ

लाल डोरा, लंबा लबा कान
फुदुकफुदुक जमिनपर कुदसे
लंबा कान वरत्या करके
कोनी दिसता सनान परासे

दाबदुबारी प्रिय जेवन ससाको
हिवरो हिवरो कोवरो चारो खासे
पोटभर जेयके डकार लेयके
दर मा आपलो उगोच सोय जासे

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि. गोंदिया 

         ससा

ससा रे ससा तू दिसंसेस सुंदर कसो
पांढरो पांढरो शुभ्र कापूसवानी जसो

मऊ मऊ गुबगुबीत गालिचा समान आंग
मजबूत लंबा लंबा टवकारं सेस कान

गुंजावाणी चमकंसेती लाल टपोरा डोरा
दुय पायपर बसकर देखावं सेस तोरा

सेस चतुर चपळ तू तीक्ष्ण सें नजर
टवकारा भेटेपर झुडूपमा परासेस तरतर

दिसनला तू धीट पर सेस मोठो घाबरट
दिनभर केतरीकच डुलकी लेसेस लटलट

शेपूट हलायकर मारसेस टुणकन उडी
माती खोदकन करंसेस भलतीच खोडी

जगंसेस दुभारी भाजीपाला खायकर
घरदार बनावंसेंस माती बिल को अंदर

बिलाई कुत्रा सेती तोरा पक्का दुश्मन
मोरो संग खेलजो मी करून तोरो रक्षण

सुंदरसो गोजीरो ससा निसर्ग की सें शान
शिकार करनो छोडो देव स्वतंत्रता को दान

                                     शारदा चौधरी
                                          भंडारा


               गन्नी बन्नी
मोरा गन्नी बन्नी खरगोश बड़ा सजग
सबमा अलग, सबमा अलग
जसा हंस अना बग
जसा बरफ का नग
जसा बादरमा ढग 
सबमा अलग, सबमा अलग ॥धृ॥

बिजली वानी सनान दौड चपल फुर्तिला
फुदकं सेती टुनुक टुनुक चतुर जोशिला
चकमा दे भक्षकला उतराय सरग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥१॥

मखमली आंग जसो सावरको कापूस
कोमल कोमल माखनवानी स्पर्श होसे महसूस
जमीनमा बिल इनको जसी सूरंग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥२॥

कंचावानी डोरा जसा लाल मोती जड्या
कमलको पंखुड़ी वानी लंबा कान गड्या
टुकूर टुकूर देखं सेती उठायके पग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥३॥

नरम ब्रशवानी पूस्टी हल्ंसे इत्ंउत्ं
मुचूल मुचूल खाय गाजर कोवरो गवत
बस्या कमान वानी एक दुसरोला लग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥४॥

धूम मचावत परा सेती रानमा सारो इर
आंग चोरके बसनोमा नही काटकसर
कछुआ संग इनकी रेस जानंसे सारो जग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥५॥

कोल्ह्या बाघ तड़स्या बाज कुत्रा बिलाई
इनको वानी लोभी माणुस बनेव कसाई
इनला मारके कुदरतमा कसो रहे तग?
सबमा अलग, सबमा अलग ॥६॥

प्यारो गोजरो खरगोश नहान बच्चा वानी
कोनको दुश्मन होये का भियकूळ्या प्राणी?
इनकी कौम बचावन साती करो लगबग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥७॥

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...