ससा
_ससा रे ससा दिस् सेस कसो_
_मानव जाती मा पोवार जसो।।१।।_
_तोरा सुपळो सारखा मोठा कान_
_जसो पोवारइनला समाजमा मान।।२।।_
_तोरा पांढरा शुभ्र कापूस जसा केस_
_जसो पोवार लोकईनको साधो भेस।।३।।_
_इवलो सो तू पर तेज तोरी चाल_
_पोवाराईनकी जसी दिनचर्या कमाल।।४।।_
_लानसुला लाल-लाल तीक्ष्ण तोरा डोरा_
_जसा तोरोमा पोवार का गुण भऱ्या सेत पुरा।।५।।_
महेंद्र रहांगडाले मच्छेरा
ससा (चाल-गोरी गोरी पान)
लाललाल डोरा जेका,लंबालंबा कान
भाऊ घर एक ससा त आण // धृ //
आखूड आखूड च्यार पाय, लहानसी पुष्टी
दुय पायपर उभो ज़सो सांगन बसेव गोष्टी
ईतऊत टकमक देख फिरावसे मान//1//
पांढरा पांढरा केस ओका कापुसच दिस
मुलाम मुलाम केस जसो गालीचा भास
लालसर डोरा ओका दिससेती छान //2//
जंगल,झाळी,झुळुपमा ओको बसेरा
धरनसाठी फासा लगे रस्तारस्ता परा
चारही आंग ससा को रव्हसे ध्यान //3//
कोवरो कोवरो गवत कुतुरकुतुर खासे
दुय पायपर उभो ना टुकुर टुकुर देखसे
हरदम ससा सदा रव्हसे सावधान //४//
केतरो सुंदर गुलुगुलु लहानसो जिव
ओकमा भी आत्मा से जीव ना शिव
त्रास नोको देवो ओला करो गुणगान //५//
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
ससा
एक पुसटी हलसे छान
लहान ससा आखुड़ मान।।
दुय घोडावानी मस्त कान
बससे कसो करके कमान।।
तिनं टुमुक उड़ी मारसे
गवत पाना मुलुमुलू खासे।।
चार पाय धुमच परासे
लहान रानी मग धावसे।।
शर्यत मा कासू जिकसे
पांढरो ससा रस्तामा सोवसे।।
मिशी हलसे खासे मुलूमुलू
खुश दिससे मस्त गोलुगोलू।।
जय राजा भोज 'जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया
ससा
लाल लाल डोळा
उभा तजेल कान
चतुर बाज ससा
फिरवत रवसे मान
सफेद पिंजेव कापूस
तसा मुलायम बाल
टुणूक टुणूक उडी मारे
स्वछंदी मोहक चाल
मुलूमुलू खाये गवत पाला
तिक्ष्ण सफेद दुय दात
लाल टपोरा डोरालक
देखे दिवस अना रात
माती अंदर बिल मा
ससा को सुंदर घर
सस्तन माता बच्चांको
सांभाळ करे सुंदर
हर महिना मा माता
ससिण ममता की मुरत
एक पासून बारा ला ममता दे
योवढो महान कुदरत
कान मा से बलवान
मान लका कमजोर
आंग चोर ससा
मंग को पाय को मुजोर
सुंदर मोहक ससा
निसर्ग को वरदान
जंगल मा येका नखरा
जंगल की बडावसेत शान
शेषराव येळेकर
दि.११/०१/२१
विचार विमर्श
दुय ससा मिलकर करसेत बिचार,
आमरा पूर्वज होता पूरा गॅवार.
शर्यत लगाईन कासव संग,
शर्यत मा रह्य गया मंघ.
एकत् शर्यत लगावन को नोहोतो,
लगाईन त् लगाईन हारन् को नोहोतो.
असा आलसी पूर्वज नही पाहिजे,
आपलो नाव उचो करनेवाला पाहिजे.
ससा इनकी इज्जत पूरी डुबाय देईन,
तोंड देखावन ला जागा नही ठेईन.
आदमी बी आमर् मंघ पड गई से,
वोला सीधो साधो ससाच दिससे.
कोल्ह्या कुत्रा की काहे नही बनावत कहानी,
उनला ससाच काहे दिससे जानी.
चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
ससा
कापुस जसो मऊ मऊ, लाल डोरा वालों ,
दिससे केतरो सुंदर,येको रूप निरालो।।
आखुड आखुड चार पाय,सुपडो सारखा सेती कान,
जंगल झाडी घर वोको,गाजर मुली खान पान।।
जंगल झाडी से, वोको ठीकान,
तरी लोक बांधसेती,वोको लाई घर मा मकान।।
टुनुकटुनुक, वु धावसे,
टुरुपोटुईनला,मजा आवसे।।
नही आव वु , कोनीको हातमा,
वोकी धाव रवसे, बांदि अन खेतमा।।
हिवरो कोवरो ,गवत खासे,
मस्ती मा आपरी, पुछ हलावसे।।
जरासो आवाज लक, वु डरावसे,
उछल कुद ,वु मचावसे,
डोरा मा जसो, माणिक मोती समावसे,
वु प्रकृति की, शान बढ़ावसे।।
नहानसो से, वोको तोंड,
पहचानो सब ,यो आय कोन.....?
ससा
कु.कल्याणी पटले
दिघोरी,
ससा
ससा भाऊ बहुत हुशार
जवळ जावं त होसे पसार
झाडीझुडुप मा गवत खासे
जमीन को अंदर दर बनावसे
कापूस सारखो मऊमऊ
वोकी आई देसे गोड खाऊ
रातभर डोस्का पीटके सांगसे
असो सबला ससुल्या नोको भिऊ
लाल डोरा, लंबा लबा कान
फुदुकफुदुक जमिनपर कुदसे
लंबा कान वरत्या करके
कोनी दिसता सनान परासे
दाबदुबारी प्रिय जेवन ससाको
हिवरो हिवरो कोवरो चारो खासे
पोटभर जेयके डकार लेयके
दर मा आपलो उगोच सोय जासे
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि. गोंदिया
ससा
ससा रे ससा तू दिसंसेस सुंदर कसो
पांढरो पांढरो शुभ्र कापूसवानी जसो
मऊ मऊ गुबगुबीत गालिचा समान आंग
मजबूत लंबा लंबा टवकारं सेस कान
गुंजावाणी चमकंसेती लाल टपोरा डोरा
दुय पायपर बसकर देखावं सेस तोरा
सेस चतुर चपळ तू तीक्ष्ण सें नजर
टवकारा भेटेपर झुडूपमा परासेस तरतर
दिसनला तू धीट पर सेस मोठो घाबरट
दिनभर केतरीकच डुलकी लेसेस लटलट
शेपूट हलायकर मारसेस टुणकन उडी
माती खोदकन करंसेस भलतीच खोडी
जगंसेस दुभारी भाजीपाला खायकर
घरदार बनावंसेंस माती बिल को अंदर
बिलाई कुत्रा सेती तोरा पक्का दुश्मन
मोरो संग खेलजो मी करून तोरो रक्षण
सुंदरसो गोजीरो ससा निसर्ग की सें शान
शिकार करनो छोडो देव स्वतंत्रता को दान
शारदा चौधरी
भंडारा
गन्नी बन्नी
मोरा गन्नी बन्नी खरगोश बड़ा सजग
सबमा अलग, सबमा अलग
जसा हंस अना बग
जसा बरफ का नग
जसा बादरमा ढग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥धृ॥
बिजली वानी सनान दौड चपल फुर्तिला
फुदकं सेती टुनुक टुनुक चतुर जोशिला
चकमा दे भक्षकला उतराय सरग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥१॥
मखमली आंग जसो सावरको कापूस
कोमल कोमल माखनवानी स्पर्श होसे महसूस
जमीनमा बिल इनको जसी सूरंग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥२॥
कंचावानी डोरा जसा लाल मोती जड्या
कमलको पंखुड़ी वानी लंबा कान गड्या
टुकूर टुकूर देखं सेती उठायके पग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥३॥
नरम ब्रशवानी पूस्टी हल्ंसे इत्ंउत्ं
मुचूल मुचूल खाय गाजर कोवरो गवत
बस्या कमान वानी एक दुसरोला लग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥४॥
धूम मचावत परा सेती रानमा सारो इर
आंग चोरके बसनोमा नही काटकसर
कछुआ संग इनकी रेस जानंसे सारो जग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥५॥
कोल्ह्या बाघ तड़स्या बाज कुत्रा बिलाई
इनको वानी लोभी माणुस बनेव कसाई
इनला मारके कुदरतमा कसो रहे तग?
सबमा अलग, सबमा अलग ॥६॥
प्यारो गोजरो खरगोश नहान बच्चा वानी
कोनको दुश्मन होये का भियकूळ्या प्राणी?
इनकी कौम बचावन साती करो लगबग
सबमा अलग, सबमा अलग ॥७॥
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
No comments:
Post a Comment