वाग्देवी
ब्रह्मा पुत्री तू कमंडलू से उपजी स्वरों की देवी।
श्वेत वस्त्र धारी वीणा हात धरी हंसवाहिनी माई।।
माय वांगदेवी राजाभोज पर असीम तोरी कृपा।
चौरांसी ग्रंथ रचियता असो महान आमरो नृपा।।
श्वेत वस्त्र धारी वीणा हात धरी हंसवाहिनी माई।।
माय वांगदेवी राजाभोज पर असीम तोरी कृपा।
चौरांसी ग्रंथ रचियता असो महान आमरो नृपा।।
संस्कृत को ज्ञानगाता सरस्वतीवंदना को रचिता।
महान चक्रवती राजा को वाणीमा वास माता।।
महान चक्रवती राजा को वाणीमा वास माता।।
तसिच देयदे मोरो वाणी मा माय मिश्रीसी मधुरता।
मिट जाए सबको मन को अहंकार, द्वेष, कटुता।।
श्वेतवर्णी, हंसवाहिनी सरस्वती कमल पर विराजे।
चौसठकला स्वरो की देवी वाणीमा संगीत साजे।।
मिट जाए सबको मन को अहंकार, द्वेष, कटुता।।
श्वेतवर्णी, हंसवाहिनी सरस्वती कमल पर विराजे।
चौसठकला स्वरो की देवी वाणीमा संगीत साजे।।
अज्ञानता मा ज्ञान की रोशनी मिटायदे अंदियारो
तोरी शरणमा सब आमी विद्या को वरदान देयदे।।
तोरी शरणमा सब आमी विद्या को वरदान देयदे।।
सबला दे सद्बुद्धि, नहीं सुचे कोनीला दुर्बुद्धी।
जीवनला आमरो नवी दिशा, नवो विचार दे माय।
जीवनला आमरो नवी दिशा, नवो विचार दे माय।
- सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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