जीवन जातो
झुंनझुरका भयी आब् करूसू घाई
रोटी बनाऊंन् कसी, पीठ् नहाय् घर् ।
उठ् मोरी मैना बेटी, कोंबडा देईस् बांग्
दुई माय् बेटी दरबिन् पीठ जातो पर् ।१।
आव् जलदी बेटी, संग् चाऊर की ताटी
धर बोहरी हाथमा ,जातो झाडझुड कर् ।
बसं आता यहान, चाऊर टाकजो थोडका
रामनाम लेयकर, जातो फिरावबिन् गरगर् ।२।
फिरसे् जातो गरगर्, सांगसे तत्वज्ञान
मेहनत् करो तुमि, नोको बसो घरपर् ।
चावुरको एकएक कन्, पीस् जासे जातोमा
पांढरो पांढरो पीठ कसे, मेहनतला नई सर् ।३।
जसो जातो फिरं गरगर् पीठ सरसर पड्
मेहनत को रोटीला आये अमृत कि सर् ।
नाेको करो चोरी चाटी राख होये जीवन
सदाचारी ,शाकाहारी, ठेवो शुद्ध आचर ।४।
जातो को दांड ठसेव् रवसे पाटा पर नई हल्
अडिग रहो तुमि, नोको भिओ कबी कणभर् ।
फिरसे जातो जसो गरागर् तसो से जीवन्
सुख दुख को चक्की मा दुख सेत् मनभर ।५।
मती नोको ठेवो गहाण् करो मेहनत् को पीठ
जातो सांगसे आमला रस्ता मेहनत् को धर् ।
जपो राम नाम सब् ओला पूर्वजो को आशिर्वाद
जातो फिरावसे पांडुरंग जनी संग दरण दर्।६।
- सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
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