Monday, March 30, 2020

काव्यस्पर्धा क्र. 3 "जातो"-तुमेश पटले "सारथी" बालघाट (म. प्र.)

               जातो

चल बाई बहुत सो आब काम करनो से,
पायली भर मोला आब चाउर दरनो से!!

गुडया को बाबूजी, अना चार मुख्तयार,
उनको लाई सिदोरी करनो से तैयार,
नाहन्नागन मोठागन को झाड़ बोहर,
अना बईल लाई डोंगा मा पानी भरनो से!!
पायली भर मोला आब चाउर दरनो से!!

मांदी बसन ला गयी से आब सासु माय,
सुसरों मोरो बड़ी कर से सब हाय हाय!
टुरु पोरट्टू की स्कूल ल भई आवन की बेरा,
अना संध्याकाड़ी को सैपाक करनो से!!
पायली भर मोला आब चाउर दरनो से!!

बाहेर कमावनला जासे बाई तोरो नौरा,
घरभर का सबझन तोरो डोलावसेत चौरा,
आक डाक की बाई हामरी या जिंदगानी,
यहांच हामला जीवनों ना यहांच मरनो से!!

चल बाई बहुत सो आब काम करनो से,
पायली भर मोला आब चाउर दरनो से!!

तुमेश पटले "सारथी"
बालघाट (म. प्र.)

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