जातो पर की ओवी
सुंदर मोरो जातो गा,फीरसे बहुत
ओवी गाऊ मी कौतुक, आव गा विठ्ठल।।
जीव शिव दुही खुटा,परपंच को गोता गा
लगावनला पाच बोट,तु आव ना विठ्ठल।।
सासु अना सुसरो,देवर यव तिसरो
ओवी गाऊसु मी भरतार,तु आव ना विठ्ठल।।
सकार की बेरा से,तान्हो मोरो लेकरू
कसी करू बाई मी,तु आव ना विठ्ठल।।
सासु को जाच से,परिवार की आच से
कामको बोझो से,तु आव ना विठ्ठल।।
परपंच को दरन,जातो परा दरूसु
सासुपुढ ठेऊसु,तु आव ना विठ्ठल।।
सत्त्व को अंधन,पुण्य मी ओरेव
पाप सप्पा उभाय गयेव,तु आव ना विठ्ठल।।
गाऊसु मी ओवी,जातोपरा बसके
पीठ आवसे भुरभुर,तु आव ना विठ्ठल।।
- वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी (आमगांव)
जिल्हा गोंदिया
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