Monday, March 30, 2020

काव्यस्पर्धा क्र. 3 "जातो"-डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर नागपूर

       माय दरन दरसे

सकारी उठसे, घरकाम करसे । 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

खुटाला धरसे, जातो गरगर फिरसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

हातका चाऊर, जरा जातामा टाकसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

जाताको अवाज, घर घर आवसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

दरन दरसे, माय गाना बी कवसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

चाऊर दरसे, पीठ अक्स्या को करसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

फिराव् जाताला, वकी बंगळी बजसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

कामबी करसे, वला योगाबी लाजसे। 
घरक् जातामा, माय दरन दरसे।। 

-डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर नागपूर
२९/३/२०२०

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