Monday, March 30, 2020

काव्यस्पर्धा क्र. 3 "जातो"-मुकुंद रहांगडाले (हरी ओम सोसायटी दत्ता वाडी नागपूर )

      जातो 

सकार को दरन ,
रवसे कोन को घरपर,
माय बेटी दर सेति 
सात खंड को माडी पर,

  जातो परबसी मी ,
संग मोरो सासूबाई ,
करो तुम्ही लगबग 
कहाडो घाम सासूबाई ,

सुंदर मोरो जातो से,
फिरसे गरगर,
पिठ दरुसू ओकोमा ,
लगसे बहुत चवदार,

बाई दरन दरेव ,
जसो चंदन पीसेव,
आई बहीण ला पुसेव
कसो समय कटेव,

पुरानो जमानो मा दरन
को काम आव जातो,
किसान रव या रव जमीनदार
जातो पर दरेवं च पीठ खात होतो,
        

              मुकुंद रहांगडाले
(हरी ओम सोसायटी दत्ता वाडी नागपूर )

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