काव्यस्पर्धा क्रमांक ४ दिनांक ०५/०४/२०२० स्पर्धा साठी
विषय: आंदन (दहेज)
जसो जसो जवर आये लगिंन बेरा,
थर थर कापसेती हाथ मोरा ll
महगाई ला देख रह्या सेती मामा मोरा,
फुफ़ाबाई ला चिंता भारी कसो करू इच्छा पूरी ll
मावसीबाई कसे बहिन बेटी से एकच मोरी,
मौस्या जी कसे सयगिल बेटी कसे इच्छा करदेवो मोरी पूरी ll
टीवी लेवो कूलर लेवो ,
लेनो पड़े फिरिज भारी ll
आंदन लाईक होसे जी भारी तैयारी,
कर्जा होय जाये माय बाप् ला लगी से चिंता बहुत भारीll
सोफा बनावो ,दिवान बनावो ,बनावोजी आलमारी प्यारी,
जीजाजी कसे एकच से सारी मोरी ,होय जाये खर्चा मोरो भी भारी।।
लेय लेसु दहेज जरासो भारी
काहेकी सारी से आता एकच कुँवारीll
कोई कसेत नही लेये पायजे जी दहेज़ भारी,
मोला याद आई से कविता की लाइन प्यारी ll
समाज की चिंता से आता मोला भारी,
समाज कसे की दहेज़ लये पायजे भारी ll
नोकों करो जी मोठो दहेज़ की आता तैयारी,
चवुक चांदन अना बटकी आंदन पोवारी की या लाईन भारी ll
समाज बंधुला विनंती एकच जारी,
नोकों करो आता मोठो आंदन की तैयारी ll
पहलेच भय गयी से जी कर्जा अमरो पर भारी,
दहेज प्रथा ला करो दूर भगावन की तैयारी ll
कम ज्यादा आंदन की चर्चा नोकों करो जी आता तरी,
दहेज प्रथा ला करो दूर भगावान की तैयारी ll
एको लक मीट जये जी सारी चिंता आमरी ,
आता करो दहेज़ प्रथा ला कम करन की तैयारी ll
डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे मु. दासगॉंव जि.गोंदिया 🙏🙏संपर्क 9673178424
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