Sunday, April 5, 2020

काव्य स्पर्धा क्र.4 "आंदन"

काव्य स्पर्धा साती

शीर्षक :- आंदन

(तर्ज़- आमरो गाव को आखर पर )

जुड़ी से बिह्या टुरी को
आनंदा माई
माय ना बाप ला
आंदन लेन की घाई

अवंदा को साल मा
बरस्यो नहीं पानी
धान की फसल आमरी
नहीं भई पयले वानी

का लेंव का लेंव,बडी बाई
बढ़ गई, महंगाई 
जुड़ी से बिह्या टुरी को
आनंदा माई......

आमरोच का 
पोवार जात की
एक गोष्ठी मन ला भायी
आपलो तोंड लक
दहेज की 
मांग नई कर बिहायी

बीह्या को मांडो सज्यो
आंदन बेरा भई
आओ आओ मामा मामी
आव व फूपा बाई

आंदन असो देवो आमला 
कवसे नवतो जवाई

कासो की बटकी देवो
दस्तूर को गुंड
रामायण की प्रती देवो
देवो यज्ञ कुंड

दिवो अना बाती धरकर 
पठाओ नवरी बाई
ज्ञान को भरन लक
पाटो दहेज की खाई

जुड़ी से बीह्या टुरी को
आनंदा माई.....


✍️ज्योत्सना पटले टेंभरे "कौमुदी"
                  ( मुंबई )

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