काव्यस्पर्धा ४
विषय - आंदन
बिया से दुय परीवारको मिलन
टुरीलि भेटसे आनंदलका आंदन//
घरको आंदन अलग रवसे
रिस्तेदार दोस्तयकरलक् आंदन आवसे//
टुरीको बाप कन्यादान करसे
कुटुंब को यव पायवाच रवसे//
आंदनपर रवसे रिस्तेदारयको नाव
याद आवसे मंग होसे मनपरा घाव।।
आंदन देसे सुकुन टुरीला रवसे वहान बालपण
दुय घर् प्रकाश देसे से टुरीको जन्म महान।।
नोको करो जबरदस्ती आंदनसाठी कबच
राजाभोजको नाव डुबे विरोध करो तबच।।
खुशीलक् जो भेटे स्विकारसे आमरो पोवार
चरित्र देखकन् जोडो बिया,बिया समाज को आधार।।
पालिकचंद बिसने
सिंदीपार(लाखनी)
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