Sunday, April 12, 2020

मामा को गाव


गिम की छुट्टी की, वोन चाव की याद आय गयी,
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

मोठो मोरी माय को कुनबा,
चार गाँव मा होतो रुतबा,
मामा मोरा बड़ा शेर घानी,
अना शेर घानी अजी बुड़गा!
सायनी माय को लाड़ को भाव की याद आया गयी!
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

संगी जसा वोतरही मामभाई,
बनकर रहिन मोरी परछाई,
आपरो निवालों मोला दे स्यार,
खान स्यारी करत होतीन घाई!!
बचपना का संगी गिन को लगाव
की याद आय गई!
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

दिनभर रहवत वोता अमराई मा,
मजाक, मस्ती खेल लड़ाई मा,
थक स्यार दुपहरी सोवत होता,
आम्बा को झाड़ की परछाई मा!!
अमराई को झाड़ गिन की छांव की याद आय गई!!
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

जात होता खेत महुँ बेचन ला,
अना लाखोरी अरसी मिसन ला,
गहुँ अना चना कटाई को समय,
जात होता हामी होरा भुजन ला!
मामा को खेत की वोन अलाव की याद आया गई!!
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

जाने कसो कसो छुट्टी बीत गइन,
बचपन का खट्टा मीठा दिन गइन,
हाथ मा रहि सब धुंधली सी याद,
अना रिश्तों नातों का धागा महीन!
जीवन सागर मा बचपन की नाव की याद आय गई!
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

गिम की छुट्टी की, वोन चाव की याद आय गयी,
अज मोला मोरो मामा गाँव की याद आय गयी!!

तुमेश पटले "सारथी"
बालाघाट (म. प्र.)
दि.- १२/०४/२०२०

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