स्पर्धा -५ वि
विषय- मामा को गाव
गावखारी को रस्ता पर को उ मोठो शेंदऱ्या आंबा
याद आवसे मोला वय बगिचा कि पिकी जांबा ।।
उनारो मा घिवारी संग आंबा को मिठो मिठो रस
बडी डाकत होती परसा को पान पर फक्त दस ।।
रोटी पापड को उंडीला तेलसंग खूप खाजन
दुय चार पापड बेलस्यान इत उत हिंडजन ।।
मावसी ला आनन साती रेहका पर जान साती तयार
बुदुक बुदुक पड वा घोटी आंबा खेल जन चार ।।
जगरी पर को दुध कि साय सांगत होती कहानी
मोरो माम माय को हिरदा होतो पिरती वानी।।
मोठो मिठो लग मामी को हात को उ पाहुणचार
बटकी भर पेज घुगरी रायतो संग करजन आरपार ।।
दिवारी को मंडई ला मामाजी आनती खूप खाजो
कवत होता ....इस्कुल चालू होये परा गाव जाजो ।।
मान सन्मान लक झल्लारसे मोरो मामा को गाव
इनसानियत लक देसेत वय नौकर ला बि भाव ।।
नहि भुली सेव मामा को गाव कि येक येक याद
हिरदा मा भरी सेव उनला आता करुसू याद ।।
श्रीमती वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
१२/०४/२०२०
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