काव्य स्पर्धा क्रमांक-०५
विषय:- मामा को गांव
दिनांक १२/०४/२०२०
हेत आवसे ओन दिन की मीठ-मीठ बात
जावत होता माय अना भाऊ संग साथ
गर्मी की सुट्टी मा जात होता मामा को गांव
नानी अना नाना जवर होवत होतो ठांव ।
सकारी होव् अज्जी तैयार करत होतो खाचर
बईल ला नहाय धोय के, बांधत होता झालर
कासरा ढिल्लो होय , बईल जोड़ पल्ला दौड़त
नाना नानी,मामा देख आवत होतिन भागत ।
मामी मोरी पाय धुआवा ,करत होती सतकार
जाअनो ले मोरो,खुशियां लक भर जाय घर- बार
संध्या होव् दीपक बाती ,होवा प्रभू को जयकार
भजिआ अक्सया घिवारी को होवा पाहुनचार ।।
अपली तपली गिल्ली डंडा, टूरू फुटू संग खेलजन
मांडो खाल्या खट्या बिछाय मिल सब झन सोवजन
नानी मोरी चंदा अना परी को कहानी सुनावत होती
कह्य रही सव सच मी ,बड़ो मजा आवत होती ।।
✍️ रचना - पंकज जुगनू
परसवाड़ा बालाघाट (म.प्र.)
स्वरचित, मौलिक
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