रकत नहीं, घामच निकले, एको मा कोई बात नहीं,
मोरो जोर को सामने, तपन की काई औकात नहीं!
भुजबल, मनोबल अना आपरो पर भरोसा से मोला,
भोज को वंशज आव मी, असी-वसी मोरी जात नहीं!
पुरखा गिन ल मिली सेती धीरज का वोतरहि गुन,
भरोसा से सूरज निकले, सदा रहे यहाँ या रात नहीं!!
मांगू नहीं कभी कोई ला, दुसरो ला देन की चाह से,
स्वाभिमान रग-रग मा से, ये कोरा जज़्बात नहीं!!
येन तपन ला दिन-दिन भर झेलूँ सु आपरो पर,
आराम की छांव मा रहस्यार, मिलअ भात नहीं!
उजालों सबको जीवन को सारो, येन तपनलच मिल से,
बिना जरयो त दीपक भी यहां करअ कोई प्रकाश नहीं!!
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा, बालाघाट(म. प्र.)
दिनांक- १९/०४/२०२०
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