शिक्षित नई सुशिक्षित बनो
माय का संस्कारी सपूत बनो
देखो जब भी असहाय् टुरी
भाई बनकर तुमि रक्षा करो
नवो नवनिर्माण की मेढ़ बनो।।
रोज मारी जासेत गर्भ मा टुरी
रोज मरसेती दहेज साठी टुरी
बदल जाय इंसान तू आता
जननी को सम्मान करो
आदर्श समाज नवनिर्माण की मेढ़ बनो।।
बारही मास् पानी पडसे
ठंडी मा भी बरसात से
वातावरण को चक्र बदलेव
झाड़ लगाओ झाड़ जगाओ
जनजागृति की मेढ़ बनो ।।
सांगों नोकों दूसरोला
पोवारी बोले पाहिजे
पोवारी बोलन् की सुरुवात
घर पासुंन तुमि करो
पोवारी नवनिर्माण की मेढ़ बनो।।
- सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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