Tuesday, April 14, 2020

रांधनखोली


कोंनटो मा पडेव् पारोला,हांडी कव् 
काहे बसेस् असो  चुपचाप
पारो रोयेव्  सिसक सिसकर
देखकर आपलो कारो रूप

सांगु तोला पहले को राजमा
आपली जोड़ी होती अटूट
आता दुरलकच तोला देखकर.
झुरसे मोरो लहानसो जीव

याद से का तोला पयले की 
पोवार की रांधन खोली
रांधनखोली मा दिमाखदार 
माती को चूल्हों तीन अवली 

मी अना तू ,चाटू,ताई, रई, सरूता
मलोकी, मलोका संगमा जगरा 
सिल बट्टा त् आपलो तोरामा रव् 
काम नोहोतो वोला आरामच कर्

दही, दूध, मही , घीव की 
काही रवत नोहति कमी
जगरा भर दूध की साय पड़् 
पीठ को हातोडी रोटी वानी

   - सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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