आयेकलेव भाऊ तुमि सब गुणीजन
मी करूसु हिरोती को गुणगान गा ।
बड़ी गुणकारी वा पिवरी धमक
रूप सुंदरी सोनो की खान गा ।।
पहले माता मायला चढ़ावसेत् हिरोती
पोवार को बिह्यामा येला बड़ो मान गा ।
मग् नवरी बाईला लगावसेत् हिरोती
तबच चमकसे रूप की खाण गा ।।
पाचगाठी लगिंनडेरला नेंगदस्तूर को आगाज
लगींन लगन् को पहले पलटावसेत गाठ गा ।
नवरा नवरी पर पडे करस को पानी
बन जायेत पिरम की खाण गा ।।
सर्दी मा पियो ओवा हिरोती को हरारा
लगायलेव चंदन हिरोति को लेप गा ।
निखर जाए येव गोरो सुंदर मुखड़ा
कांति सोनो की बन जाए ख़ाण गा ।।
आमरो भाजीमा जादा हिरोती को तड़का
मनुनंच से पवार की कांति गोरी पान गा ।
रोज चाय, दूध बनाओ, टाको हिरोती
पराये मुख को मुरूम की खाण गा ।।
- सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
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