काव्य स्पर्धा ५
दिनांक:१२/०४/२०२०
विषय: मामा को गाव
उन्हारो को सुट्टिमा जाजन मामाको गांव।
गुडुरलका अजी आमला आनला आव।।
आखर लकाच घोलर को अगाज कानमा आव्
मोठो मोठो बैलइनला घोलर झुली को साज रव्।।
बिहाई की आवभगत होय नमस्कार चमत्कार।
पाय धोवन पानी ना चाय नास्ता लका सत्कार।।
रातवा आंबा को रस, घिवारी को पाहुणचार।
दूसरो दिस खुसीखुसी गूडुरपर होजन सवार।।
गुड़गुड़ गूडुरकी भोवरी चलत गाळदान की बाट।
बेसकड़को नंगरदरूजा दिसत होतो मामा थाट।।
चाट्या बाट्या कनार को शेंदर्या आंबाला जाजन।
पेज रायतो खायकर आंबा खालत्या खेलजन।।
खेतमा मोट को झुर झुर पानीमा लोरजन।
बाबुर को ढीक, चार की बिजी फोड़जन।।
रातवा दिवोको उजाडो मा मज्या लक जेवजन।
आंगन माको मांडो खाल्या ओरिलऽ सोवजन।।
अजी नवहाथ करुला की लंबी कहानी सांगत ।
दूर ढोड़ी परा धुंदुर ,वरत्या चांदाचांदनी दिसत।।
अज बी याद आवसेत मामा को गाव का दिवस। नई मिलत आब् बेटाबेटीला तसा छुट्टीका दिवस।।
- सौ.छाया सुरेंद्र पारधी
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