चंद्र को ठंडो छपरी मा
सोयी होती निसर्ग सृष्टी
सूर्य कि हिटी से तपन
त् चराचर परा भयी वृष्टी ।।
तपन लक भेटसे ऊर्जा
विकसित होसे नवो जिवन
कर्तव्य ला देयकन महत्व
सूर्य करसे नवसृजन ।।
जिवन मा बि आवसे तपन
देखावसे दुक को खेल
हिम्मत लक जगनो त्
सुक को आवसे नवो मेल
नको घबरावो तपनला
देखो वोकोमाकि सुंदरता
तपन आवसे मुन रवसे
सावोली संग आमरो रिस्ता ।।
तीन प्रहर को तपन को
मानवता लक लेवो फायदा
सूर्य कि होये मोठी कृपा
एकता को होये वायदा ।।
वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
१९/०४/२०२०
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