Tuesday, April 21, 2020

तपन


उनारो क् दिवसमा, कशी तपन तपसे भारी
वन् तपनमा आनत होता आमी मोवुकी टोरी

एक हातमा रव डांडु, रव दुसर् हातमा झोरी
टोरुंबा फोडत होता, आमी करत होता टोरी

तपनको भेव नोहतो, आमरीच सीना जोरी
भुकनी रव पुळीमा खानला आंबाकी कैरी

पाय  लासत मनमाने, मंग ढुंडत होता गवतोरी
परसाका पान बांधजन पायला  तपन रव भारी

गिल्ली डांडु खेलत होता, जरी तपन रव भारी
पानी साती बाटली नही, लगत नोहोती शिदोरी

तपनत् तप मनमाने, झकार लगत होती भारी
माय कव बेटा सकारी खेल, नोको खेलु दुपारी

आब् पंखा संग कुलर आयी, तरी गरमी लगसे भारी
तपनमा का गया जरासा, आमला झाव लगसे भारी
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✍ डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर नागपूर १९/४/२०२०

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