उन्हारो को सुट्टी मा,आजा मोरो खाचर लका आणण आव,सुट्टी लागी का जात होता आम्ही मामा को गाव, तपन मा फिरज मस्ती कर्ज त आजा आमरो मग धाव //१//
माम भाई अना मावसो भाई सब जन जमा होज
आगण मा, कंची ,लुका - छुपी सब रंग का खेल खेलज आम्ही//२//
मामा को घर होती मोठी-मोठी भशी गायी, चारावन ला लिजनाकी आमला रवत होती घाई//३//
मामा को घर को बाजू वालो घर होतो आंबा को झाडं आंबा चोरन ला जाज पर होती मोठी बिहिर आड//४//
आब को टूरू पोटून का पाहिले सारका दिवस नही रया लहान पासून मोठा सब मोबाईल मा व्यस्त भया//५//
✍️ मुकुंद दिगंबर रहांगडाले..(हरी ओम सोसायटी दत्त वाडी नागपूर २३) १२/०४/२०२०
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