मोरो माय को माहेर होतो बहुत दूर।
मामा को गावं जानकी लगी हुरहूर।।
स्कुलला सुट्टी लगीं धावत धावत घर आई।।
मायला कयेव मामागावं जानकी कर घाई।।
बस लका जल्दी मामा को गावं जबिन।
आंबा को रस ना पातर रोटी खाबिन।।
सेवाई की खीर ना गहू की गरम रोटी।
भाजीला आलूबगन, गवारशेंग, बरबट्टी।।
मामा मामी साजरा जसा राणी राजा।
उन्हारो को सुट्टीभर मस्त करबिन मजा।।
✍️श्री. धनलाल रहांगडाले
गोंदिया
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