अग्निवंशीय पंवारो के वर्तमान जाति/गोत्र/सरनेम/कुल, शासकीय नियम और आज के वैवाहिक सम्बन्ध के सामाजिक और वैधानिक नियम
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ शासन के अनुसार जाति पोवार एवं पंवार( Powar & Panwar) है तथा महाराष्ट्र में पोवार( Powar) है और शासकीय दस्तावेजों में यही नाम चलता है.
मालवा में पंवार/पोवार जाति के लोग परमार उपनाम या सरनेम अपने नाम के आगे लगाते हैं. वर्धा घाटी( बैतूल, छिंदवाड़ा, वर्धा, नागपुर)के कुछ लोगो से चर्चा के बाद पता लगा की उनके जाति प्रमाण पत्र में जाति भोयर और कुछ लोग जाति पोवार या पंवार लिखते है और नाम के आगे पवार उपनाम या सरनेम लगाते हैं. और भी समूह के सदस्य अपने जाती दस्तावेजों से बता सकते है.
कई पोवार/पंवार/भोयर/भोयर जाति के लोग पवार या परमार सरनेम उपयोग कर रहे है और आज के शासकीय दस्तावेजों में यही दर्ज है. वर्तमान कानूनों नाम और सरनेम बदल तो सकते है पर जाति कभी नहीं बदलती और जन्म से मृत्यु तक वही रहेगी. अगर कोई लड़की अपनी जाति से बाहर विवाह करे तब उसकी संतान की जाति तो उसके पति की होगी पर लड़की की जाति कानूनी रूप से उसके पिता की ही होगी.
वर्तमान में जाति राजपूत में पँवार या परमार उनकी गोत्र है और इन्हे अपने उपनाम या सरनेम के रूप में प्रयोग करते हैं. उसी प्रकार जाति मराठा में पवार एक कुल है वे सरनेम के रूप में पवार शब्द का प्रयोग करते हैं. वर्तमान की राजपूत और मराठा जाति में अपने पँवार या पवार गोत्र के बहार दूसरे गोत्र में शादी करते है यानि उनके यहाँ पँवार या पवार गोत्र या कुल की लड़की शादी के बाद पँवार(परमार) या पवार नहीं रह जाती बल्कि अपने पति के गोत्र की हो जाती है. जैसे अगर किसी पंवार गोत्र की शादी अगर तोमर गोत्र में हो जाये तो वो विवाह के बाद तोमर हो जाएगी और उनके बच्चे तोमर होंगे.
जबकि आज के परदृश्य पंवार/पोवार/भोयर/भोयार जाति में उनके अपने कुर/सरनेम या गोत्र हैं और उनसे बाहर विवाह होता है पर जाति जीवन पर्यन्त पंवार/पोवार/भोयर/भोयार ही रहेगी.
ऋषि बिसेन
नागपुर
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