झुंझुरका उठस्यार कामला लग जासे,
कामक् कारण वोला आराम नहीं भावसे,
बरसाद,थंडी,गरमी हर मौसम मा काम करसे,
खरी बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
खेत ला नांगरकर तैयार करसे,
बीज पेरस्यार समयपर खात पानी देसे,
फसल की निंदाई,रखवाली भी करसे,
खरी बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
फसलला रोग लगनोपर दवाई सिचसे,
पानी नहीं रव्हनो पर उन्दो करस्यार पानी देसे,
जानवर इनल फसलला बचावसे,
खरी बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
फसल निकलनो पर कटाई चुरनी करसे,
बोरा इनमा भरकर फसल घर ले जासे,
खानपुरता ठेयस्यार बाकी बिकनला ली जासे,
सही बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
बजार मां ब्यापारी फसल को मोल लगावसे,
ब्यापारी क् हातल हमेशा लुटेव जासे,
जरूरत क् पूर्ति साती बेमोल फसल बिक देसे,
खरी बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
वोकी पुरी मेहनत ना खर्चा केवल जुवाॅ होसे,
पानी कम जादा होनोपर फसल ल हात धोवसे,
जानवर ना रोग भी फसल को नाश कर देसे,
खरी बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
सरकार वोक फायदा साती घोषणा करसे,
पर सबला वोको लाभ नहीं भेंट सकीसे,
वोन कारण ल वु हमेशा कर्ज ना तंगी मा रव्हसे,
खरी बात से,किसान सबको अन्नदाता से।
रचना- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया (टेमनी)
दि.०३/०५/२०
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