!! स्व पि. डी. रहांगडाले !!
______________
श्री पी. डी. रहांगडाले का जन्म फुक्कीमेटा तह. गोरेगाव मे वर्ष १९१२ मे हूआ। उनकी पढाई ८वी तक गोंदिया मे हूयी। और १०वी तक भंडारा मे पढे। नागपुर से उन्होने बि. ए. प्लेन बॉयोलॉजी एंव एल. एल. बी. पुर्ण की। उसके बाद उन्होने गोंदिया न्यायालय मे वकालत चालू की एंव बाद मे वह राजनिती मे सक्रिय हूये।
गोंदिया शहर के जन सामान्य के बिच उन्होने एक समर्पित लगनशिल तथा जुझारू नागरिक के रुप मे अपने आप को स्थापित किया। वकालत के व्यावसाय को अपनी एकाग्रता तथा कुशाग्रता के कारण एक नया गौरवशाली आयाम प्रदान किया है। उनका व्यक्तित्व असोसिएसन के लिए सदैव ज्योती बिंदू के रुप कार्यरत रहा है और उन्हे हिरक जयंती के अवसर पर सन १९८१ मे बार असोसिएसन द्वारा गौरवान्वित करते हूये सन्मानपत्र प्राप्त हूआ है।
वे अपने विद्यर्थी जिवन मे समाजसेवा और राष्ट्रसेवा मे रत रहे। विद्यार्थी जिवन के बाद गोंदिया मे वह वकालत करने लगे तथा उनके पश्च्यात सिघ्र ही राजनिती मे उतर आये। एक प्रखर और लोकप्रिय नेता के रुप मे ख्याती प्राप्त की।
वह उनेक वर्षो तक गोंदिया जनपद सभा के अध्यक्ष रहे है। पुराणे मध्य प्रांत मे तथा महाराष्ट्र मे अनेक बार विधानसभा मे चुनकर गये। महाराष्ट्र विधानसभा मे विरोधी दल के नेता के रुप मे उन्होने सांसदिय प्रणाली को काफी निखार दिया। उनके विचार बडे प्रभावी और गंभिर होते थे। वह ओजस्वी वक्ता, गंभिर विचारक कुशल प्रशासक, प्रखर विधायक और लोकप्रिय नेता के गुणो से ओत-प्रोत विनोद प्रिय व्यावहारिक व्यक्तित्व रखते थे। उनके प्रखर व्यक्तित्व और कुशल नेतृत्व के प्रती श्रधापुर्व मानपत्र भेट करते हूये अखिल भारतिय पंवार क्षत्रिय महासभा बालाघाट अधिवेशन से १० मई १९८१ मे मानपत्र प्राप्त हूआ था।
जन्म: १९/१२/१९१२
मृत्यु ३/१२/२००३
विधायक गोरेगाव क्षेत्र: १९५७
गोरेगाव क्षेत्र: १९६२
गोरेगाव क्षेत्र: १९६७
जनपद: गोंदिया - भंडारा १९५४ - १९६२
विरोधी पक्ष नेता: १९५७ - १९६२
संदर्भ: अखिल भारतिय राजा भोज सेना एंव राजा भोज कला अकादमी गोंदिया द्वारा प्रकाशित "पवार सेना गौरव पुस्तिका"
- सोनू भगत
powarihistory.blogspot.com
______________
श्री पी. डी. रहांगडाले का जन्म फुक्कीमेटा तह. गोरेगाव मे वर्ष १९१२ मे हूआ। उनकी पढाई ८वी तक गोंदिया मे हूयी। और १०वी तक भंडारा मे पढे। नागपुर से उन्होने बि. ए. प्लेन बॉयोलॉजी एंव एल. एल. बी. पुर्ण की। उसके बाद उन्होने गोंदिया न्यायालय मे वकालत चालू की एंव बाद मे वह राजनिती मे सक्रिय हूये।
गोंदिया शहर के जन सामान्य के बिच उन्होने एक समर्पित लगनशिल तथा जुझारू नागरिक के रुप मे अपने आप को स्थापित किया। वकालत के व्यावसाय को अपनी एकाग्रता तथा कुशाग्रता के कारण एक नया गौरवशाली आयाम प्रदान किया है। उनका व्यक्तित्व असोसिएसन के लिए सदैव ज्योती बिंदू के रुप कार्यरत रहा है और उन्हे हिरक जयंती के अवसर पर सन १९८१ मे बार असोसिएसन द्वारा गौरवान्वित करते हूये सन्मानपत्र प्राप्त हूआ है।
वे अपने विद्यर्थी जिवन मे समाजसेवा और राष्ट्रसेवा मे रत रहे। विद्यार्थी जिवन के बाद गोंदिया मे वह वकालत करने लगे तथा उनके पश्च्यात सिघ्र ही राजनिती मे उतर आये। एक प्रखर और लोकप्रिय नेता के रुप मे ख्याती प्राप्त की।
वह उनेक वर्षो तक गोंदिया जनपद सभा के अध्यक्ष रहे है। पुराणे मध्य प्रांत मे तथा महाराष्ट्र मे अनेक बार विधानसभा मे चुनकर गये। महाराष्ट्र विधानसभा मे विरोधी दल के नेता के रुप मे उन्होने सांसदिय प्रणाली को काफी निखार दिया। उनके विचार बडे प्रभावी और गंभिर होते थे। वह ओजस्वी वक्ता, गंभिर विचारक कुशल प्रशासक, प्रखर विधायक और लोकप्रिय नेता के गुणो से ओत-प्रोत विनोद प्रिय व्यावहारिक व्यक्तित्व रखते थे। उनके प्रखर व्यक्तित्व और कुशल नेतृत्व के प्रती श्रधापुर्व मानपत्र भेट करते हूये अखिल भारतिय पंवार क्षत्रिय महासभा बालाघाट अधिवेशन से १० मई १९८१ मे मानपत्र प्राप्त हूआ था।
जन्म: १९/१२/१९१२
मृत्यु ३/१२/२००३
विधायक गोरेगाव क्षेत्र: १९५७
गोरेगाव क्षेत्र: १९६२
गोरेगाव क्षेत्र: १९६७
जनपद: गोंदिया - भंडारा १९५४ - १९६२
विरोधी पक्ष नेता: १९५७ - १९६२
संदर्भ: अखिल भारतिय राजा भोज सेना एंव राजा भोज कला अकादमी गोंदिया द्वारा प्रकाशित "पवार सेना गौरव पुस्तिका"
- सोनू भगत
powarihistory.blogspot.com
No comments:
Post a Comment