आपरो आशीष, आपरो हेम, मोरो लाईच ठेव से!
मोरी माय को पाय खाल्या, मोला जन्नत चोव से!
दुनिया का सब दुःख त सह लेसे हाँसत-हाँसत ही,
पर मोला जरा सो दरद होसे त, माय बड़ी रोव से!
तुमेश पटले "सारथी"
दिनांक- १०/०५/२०२०
अग्निवंशीय पोवार(पँवार) क्षत्रिय समाज के इतिहास, संस्कृति और पोवारी बोली के साहित्य के प्रकाशन हेतु यह ब्लॉग बनाया गया है। पोवारी संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन इसका मुख्य उद्देश्य है। जय माँ गढ़कालिका जय पोवार(पँवार), जय पोवारी
मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...
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