माय मोरी ममता की छाया,
निराली से जगमा येकी माया ll
येन देईस नवीन काया,
देख्या सबन जग की माया ll
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✍🏼डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु. पो. दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
अग्निवंशीय पोवार(पँवार) क्षत्रिय समाज के इतिहास, संस्कृति और पोवारी बोली के साहित्य के प्रकाशन हेतु यह ब्लॉग बनाया गया है। पोवारी संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन इसका मुख्य उद्देश्य है। जय माँ गढ़कालिका जय पोवार(पँवार), जय पोवारी
मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...
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