खेत की मेंड पर बसकर
वू खासे भात सिधोरी को
वोको नांगर उगल से सोनो
वू मालिक धरा तिजोरी को।।
वू आय धरती माय को मोठो बेटा
वोको नाव किसान से
जय कार करूसु वोन माती को लाल की
जेको खांदा पर टिक्यो यो जहान से।।
मेहनत कर से वू दिन रात
का गीम अन का बरसात
वोला थकान नहाय।।
जराव से तपन,ठिठुराव से ठंड
पन भाग मा वोको
महल - मकान नहाय।।
पोट भरन वारो वू संसार को
अज लाचार अन परीशान से
का नारा लगाय रही सेव तुम्ही ?
कि जय जवान अन जय किसान से।।
बन कर रह गई से वू
राजनीति को एक मोहरा
वोट बैंक की खान से
धरती माय को वू मोठो बेटा
वोको नाव किसान से।।
✍️ज्योत्स्ना पटले टेंभरे 'कौमुदी'
मुंबई
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