नारी तू नारायणी, विश्व जन्मदायनी माय।
देवी रुप सकल नारी,नारायणी रूप आय।।
गर्भ मा ज्योति तू नव महीना जगावसेस।
मरणककर सहस्यानी नवजीवन तू देसेस।।
सुंदर तू, नाजुक तू ओजस्वीता की मूर्ति।
कुटुंब आधार तू ,त्याग की अमर कीर्ति।।
बहिन तू ,माय तू, रिस्ता को तू आधार ।
येन रिश्ता बिना आदमी अधुरो लाचार।।
समय आये पर धारण कर चंडी अवतार।
नहीं घबराय नारायणी करसे दस पर वार।।
आदि शक्ति माय, शिवकी प्रिया पारबती ।
दुर्गा रूप शक्ति, सरस्वती ग्यान बरसावती।।
महिमा तोरी वेद पुराण मा सकल वर्णी।
अनुसया तू त्रिदेवला दुग्धपान करावती।।
सावित्री तू सत्यवान की, सिया तू रामकी ।
जानकी बन उद्धारीस दुही कुलको मानकी।।
माय गढ़कालिका को रुपमा तू कल्याणी।
आशीर्वाद तोरो माय पोवार की पोवारी ।।
दुनिया येरिच नहीं कव तोला नारी नारायणी ।
हर सफल आदमी को मंग रवसे एक नारी।।
✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
बहुत साजरी रचना
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