नारी तू नारायणी झेप ले आकाशमा
तडजोड करू नोको आपलो सपनाको
तू दुर्गा,तू काली,तूअंबिका,अना सरस्वती
तुनच लेईस का ठेका ,पुरो त्याग करनको।।
समाज की परंपरा अना कलूषित रूढींको
तोलाच कायला से उनको बंधनकारक घेरा
कायला तूच उचलजो संसार को भारो
समय भयेव आता देखाव स्त्रीशक्ती को तोरा।।
लेय ले तू आता गरूड की झेप संसारमा
दुय हात करके पुरूष को संग संगमा
स्पष्टीकरण देनकी काही गरज नाहाय तोला
भले ही रव्ह पुरुषप्रधान संस्कृती येन देशमा।।
तु कमजोर अबला नाहास,कोमल सबला सेस
तू जगकी माता,माऊली अना जगतजननी
घबरावू नोको आता यन समाजला कभी
संकट को सामना करनो मा तू आता अग्रणी।।
जसी भाषा मा से पोवारी भाषा महान
नारी मी तोरा केतरा करू मी गुणगान
कभी बहिण, कभी बायको,कभी बेटी होयके
समाज मा बढावसेस नारी तू सबकी शान
समाज मा उची करसेस तू सबकी मान।।
✍ वर्षा पटले रहांगडाले
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