निंदा नोको करु नारीकी नारी रतनकी खान ।
नारी पासुनच पैदा भया राम लखन हनूमान ।।
नारी ममताकी मुरत से नारी माया को आगर ।
काली,दुरगा,पारबती से नारी ममताको सागर ।।
नारीच से माय,टूरी,बहीन से घरकी रानी ।
घरमा ओको सनमान करो वाच आय नारायणी ।।
डी-पी- राहांगडाले
गोंदिया
९०२१८९६५४०
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