जग निर्माती,सब सुख निर्माती,
नारी तू परम प्रतापी बलीदानी।
हर क्षेत्र मा हुनर देखायकर,
सामने सेस, नारी तू नारायणी।
राम कृष्ण ला जनम देयकर
उनको लालन पालन करीस।
वीर शिवाजी,राणा प्रतापला
तूनच् बलवान करीस।
भर्तृहरि, विक्रमादित्य,राजा भोज
जगदेव सब तोरीच संतान।
गांधी महात्मा, लालबहादुर सब
तोरच् कारण बनाया महान।
जीवन कर हर क्षेत्र मा
तू सामने अग्रेसर सेस।
घर का सारा काम काज बी
तोरच् माथो पर रव्हसेत।
तूच अबला, तूच सबला,
तूच जगत कल्याणी सेस।
तूच दुर्गा, तूच काली
तूच आदिशक्ति भवानी सेस।
घर ला स्वर्ग बनावनो,
तोर करम का शामिल से।
टुरू पोटू साती तूच
नैय्या अना साहिल सेस।
तूच अहिल्या,तूच सावित्री
तूच झांसी की रानी सेस।
तोर् बीना पुरूष से अधूरो
तू वोकी अर्धांगिनी सेस।
रचना- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
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